जो प्रदेश की कांग्रेस पार्टी अक्सर जयराम सरकार को पलटू सरकार कहती है, क्या उनके वरिष्ठ नेता खुद भी पलटू राम नहीं हैं…?? ये एक सवाल है जो पिछले कल यानी 28 तारिख़ की रात को जन्म लेता है, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपनी जुबान एक दम पलट लेते हैं। ये वरिष्ठ नेता कोई और नहीं बल्कि 6 बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और वरिष्ठत्म नेताओं में शुमार वीरभद्र सिंह हैं।
पिछले कल वीरभद्र सिंह ने अर्की सोलन के कुनिहार में खुद को कांग्रेस का सच्चा सिपाही बताते हुए भीतरघातियों पर तंज कसा। वहीं अपने चुनाव न लड़ने पर सरेआम बात कही। एक नहीं 2 बार वीरभद्र सिंह ने वीडियो में चुनाव लड़ने की बात कही। लेकिन ये चुनाव न लड़ने की बात जैसे ही मीडिया के जरिये सोशल मीडिया तक पहुंची वीरभद्र सिंह के नाम के जयकारे लगने शुरू हो गए। लेकिन ये जयकारे सिर्फ जनता तक ही सीमित थे। प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियों(कांग्रेस-बीजेपी) में खलबली मच गई थी।
बीजेपी की खलबली इस तरह थी कि वीरभद्र सिंह के बाद अब कांग्रेस का कोई वर्चस्व नहीं रहेगा और हमें 2022 में आसानी होगी। वहीं, कांग्रेस में एक ओऱ जहां वीरभद्र सिंह के विरोधी पार्टी नेताओं ने राहत की सांस ली और कई नेताओं ने इसे पार्टी के लिए नुकसान के तौर पर भी देखा। दोपहर को जारी हुई वीरभद्र सिंह की सन्यास वाली वीडियो ने शाम तक इतनी खलबली मचा दी की वीरभद्र सिंह को देर शाम तक खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट डालनी पड़ गई।
लेकिन उस पोस्ट में वीरभद्र सिंह सन्यास की बात का पूरी तरह खंडन कर दिया औऱ सारी बात मीडिया पर डाल दी गई। उन्होंने कहा कि मैंने हल्के फुलके अंदाज में ये सब कहा था औऱ मेरा चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना भविष्य के गर्भ में है। उनकी इस पोस्ट ने दिन भर से चली रही दोनों पार्टियों में खलबली और जनता से मिल रहे मान सम्मान को एक तरह बंद कर दिया। लेकिन यहां ये कहना बिल्कुल ग़लत नहीं होगा कि जो प्रदेश कांग्रेस अक्सर मौजूदा जयराम सरकार को पलटू सरकार कहती रहती है क्या उनके वरिष्ठ नेता खुद पलटू नहीं हैं…??
और ये कोई पहली दफा नहीं जब वीरभद्र सिंह ने अपने बयानों को पलट लिया। 2017 में हुए चुनाव के दौरान उससे पहले भी कई दफा तत्तकाल मुख्यमंत्री ने अपने बयानों को पलटा है। गुड़िया गैंगरेप पर दिये गये अपने अजीबो गरीब बयान पर भी वीरभद्र सिंह ने पलटी मारी थी। ऐसे और भी कई वाक्या है जिसमें वीरभद्र सिंह ने ऐसा ही किया था।
अब कुछ लोग इसमें उनकी उम्र का उल्हाना भी छोड़ेंगे, लेकिन सवाल सिर्फ इतना है कि अगर आप उनकी पलटने की या बोलकर भूल जाने की आदत को उम्र को हवाला देते हैं तो याद रखिये ये वही वीरभद्र सिंह है जो आज भी अपने विरोधियों को चुप करवाना का दावा ठोकते रहते हैं और प्रदेश के 6 बार के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। और अगर उन्हें भूल जाने की उम्र के हिसाब से सच में आदत पड़ गई है तो ये राजनीति सफर उन्हें ख़त्म कर देना चाहिए…!!!