हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने प्रदेश अध्यक्ष राठ़ौर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि हाईकमान की मर्जी से उनका नाम तय हुआ था। वरिष्ठ नेताओं की सलाह नहीं ली गई जिससे आज पुराने नेताओं की सलाह तक ली जाती। हम उनका पूरा साथ देना चाहते हैं लेकिन वे खुद कोई सलाह-मशवरा नहीं करते। यही वज़ह है कि आज इल्ज़ाम लग रहे हैं कि भाजपा के कुछ लोगों को कांग्रेस कमेटी ने महासचिव तक बना दिया है।
उनको चाहिए था कि वह सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को विश्वास में लेकर कार्य करते लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे हैं। यह उनका मत है बाकी पार्टी हाईकमान जो फैसला करेगी वह ठीक है। इसके साथ ही उन्होंने बातों ही बातों में हाईकमान को भी नसीहत दे दी कि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष वरिष्ठ नेताओं से कोई पूछताछ नहीं करते औऱ सभी साथ लेकर नहीं चलते। इससे पहले भी कौल सिंह ठाकुर सहित कई नेताओं ने शिमला में बैठक की जिसमें ये निकलकर सामने आया था कि कांग्रेस कमेटी हाईकमान को ग़लत रिपोर्ट देती है। इसी के कारण कांग्रेस की स्थिति प्रदेश में और ख़राब हो रही है औऱ कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है।
ग़ौरतलब है कि कांग्रेस में गुटबाज़ी चर्म पर है जो चुनावों के आते ही मुखर हो जाती है। श़ायद यही एक वज़ह जो बीजेपी चुनावों के वक़्त कांग्रेस को आसानी से पीछे छोड़ देती है। अब एक बार फ़िर कौल सिंह ठाकुर ने गुटबाजी को हवा दे दी है जिसके पीछे कई मायने हो सकते हैं। एक तरह कहें तो हाईकमान के आगे राठ़ौर की हटाने की लॉबिंग अभी से शुरू हो गई है। अब हाईकमान ये तय करना औऱ देखना है कि प्रदेश में कांग्रेस किस तरह से काम कर रही है।
जयराम सरकार पर बरसे
वहीं, कौल सिंह ठाकुर ने प्रदेश की जयराम सरकार को यू-टर्न सरकार करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का ढाई साल का कार्यकाल बेहद ही निराशाजनक रहा है। सरकार फैसला लेने में बहुत वक्त ले रही है और जब लेती है तो कुछ दिनों बाद उसे वापस ले लिया जाता है। कोरोना काल में सरकार से घोटाले ही किये हैं औऱ अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में भी यही काम किया है। अग़र मेरे स्वास्थ्य मंत्री होते हुए वे घोटाले होने की बात कहते हैं तो उनकी सरकार है और वे जांच करवाएं।