घुमारवीं से पूर्व विधायक राजेश धर्माणी ने क्षेत्र में विकासात्मक कार्यों को लेकर की जा रही राजनीति और नियमों को ताक पर रखकर किए जा रहे विकासात्मक कार्यों पर सवालिया निशान लगाए हैं। मीडिया से बातचीत में धर्माणी ने कहा कि विकासात्मक कार्यों के तहत सड़कों के विस्तारीकरण और टारिंग में लगाई जा रही कथित घटिया सामग्री से सड़कों की हालत बद से बदत्तर हो चुकी है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से घुमारवीं विस क्षेत्र में सरकारी धन की जा रही कथित लूट-खसूट की विजिलेंस जांच करवाए जाने की मांग की है और दोषियों के विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई का आग्रह भी किया है। घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में विकासात्मक कार्यों में दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान सड़कों की विस्तारीकरण के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 21 करोड़ रुपए और नाबार्ड से 20 करोड़ रुपए मंजूर करवाए थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इन विकास कार्यों को राजनैतिक द्वेष के चलते पहले रोक दिया गया और जब काम शुरू किया तो गुणवत्ता और केंद्र सरकार के नियमों को ताक पर रखकर इसका कार्य शुरू किया गया। संबंधित ठेकेदार के पास कोई टैक्रिकल व्यक्ति न होने के कारण जैसे-तैसे काम पूरा कर दिया गया। संबंधित कामों का विभाग के अधिकारियों ने भी निरीक्षण करना उचित नहीं समझा। जिस कारण सारी सड़कों पर की गई टारिंग उखड़ गई। संबंधित सड़कों पर दो बार पैचवर्क भी किया गया लेकिन इसके बावजूद 80 प्रतिशत सड़कों की हालत खस्ता है।
धर्माणी ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और नाबार्ड से पैसा तभी मंजूर होता है जब इसकी सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही पैसा स्वीकृत होता है। दूसरी ओर अपनों को लाभान्वित करने के लिए वन भूमि पर भी काम किए जा रहे हैं। क्षेत्र में किए जा रहे ऐसे कार्यों के विरूद्ध पहले ही ढोल बजाओ, सरकार जगाओ कार्यक्रम शुरू किया था लेकिन यदि सरकार ने अब संबंधित कामों की विजिलेंस जांच न करवाई तो कांग्रेस सड़कों पर उतरने पर विवश होगी जिसकी सारी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की होगी।