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राठ़ौर के कामकाज से नाराज कांग्रेस पदाधिकारी, सोनिया गांधी को लिखा लेटर

नवनीत बत्ता |

उपचुनाव के सिर पर आते ही कांग्रेस में विरोधी स्वर उठने लगे हैं। कांग्रेस के नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपने ही अध्यक्ष के कार्यप्रणाली के खिलाफ सवाल उठा रहे हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव विनोद सुल्तानपुरी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक लेटर लिखा है जिसमें प्रदेश अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।

लेटर में लिखा है कि 'हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस रसातल की ओर जा रही है। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कोई सबक नहीं सीखा। चुनाव हुए चार महीने बीत चुके हैं लेकिन प्रदेश में कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही। सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ न कोई आंदोलन हो रहा, न ही धरना-प्रदर्शन। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की निरंतर होने वाली बैठकें भी नहीं हो रही। प्रदेश अध्यक्ष अपना जन्मदिन ही पार्टी कार्यालय में मनाने में व्यस्त हैं।

21 अक्टूबर 2019 को दो विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव भी घोषित हो चुका है, बावजूद इसके पार्टी की कोई तैयारी धरातल पर नहीं दिख रही है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की तानाशाही कार्यप्रणाली के चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। यह सब पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की बांटों और राज करो की नीति से हुआ है। जैसे लोकसभा चुनाव में टिकटों की बंदरबांट हुई, वैसा ही उपचुनाव के टिकट वितरण को लेकर भी माहौल बनाया जा रहा है।

इससे कांग्रेसी खुद एक-दूसरे पर ही कीचड़ उछाल रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए सुखद संकेत नहीं है। ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्तियों में भी निष्ठावान, समर्पित और कर्मठ कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है। प्रदेश में ऐसे लोगों को ब्लॉक अध्यक्ष बना दिया गया, जिन्हें कोई जानता तक नहीं। इससे भी पार्टी के जुझारू और संगठन के लिए दिन रात एक करने वाले कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रदेश सरकार की गलत नीतियों की भी आलोचना नहीं की जा रही। सरकार के साथ कांग्रेस के शीर्ष पदों पर बैठे नेता फ़्रेंडली मैच खेल रहे हैं, जिससे पार्टी दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है।

मेरे पिता केडी सुल्तानपुरी जी भी शिमला संसदीय क्षेत्र से 6 बार सांसद रहे हैं। लेकिन, पार्टी की जो स्थिति इस समय कर दी गई है, वैसी कभी नहीं हुई। मेरा तो बचपन ही कांग्रेस में बीता है, इसलिए वर्तमान हालात से बेहद आहत हूं। अब और सब्र नहीं होता, जल्दी आपसे मुलाकात कर अपना इस्तीफा आपको सौंप दूंगा। आपके जो भी निर्देश भविष्य के लिए होंगे, उनका ईमानदारी से पालन करूंगा।'