सीएलपी लीडर मुकेश अग्निहोत्री ने जयराम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अग्निहोत्री ने कहा कि निवेश के बहाने सरकार राज्य को बेचने और भू-माफिया को खुला नियंत्रण देने के मंसूबों से काम कर रही है। प्रदेश में अब 'हिमाचल फॉर सेल' का नारा गूंजने लगा है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के शिल्पकार एवं निर्माता डॉ. वाई.एस. परमार ने प्रदेश की जमीनें बचाए रखने के लिए भूमि सुधार कानून की धारा-118 को लागू करवाया था। उनके सपने को साकार करने के लिए दोबारा संकल्प लेना होगा कि हम किसी भी कीमत पर हिमाचल की जमीनें कौड़ियों के भाव बिकने नहीं देंगे। उन्होंने दलील दी कि सरकार में आला-ओहदों पर बैठे कुछ गैर-हिमाचली ऑफिसर इन दिनों हिमाचल को बेचने का मास्टर प्लान बना रहे हैं।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि जयराम सरकार ने हिमाचल की जमीनें गैर-हिमाचलियों को लूटाने की अपनी मंशा स्पष्ट कर दी हैं और सारी सरकारी मशीनरी को हिमाचल को औने-पौने दामों पर बेचने का खाका तैयार करने में लगा दिया है। हिमाचल की ज़मीनों पर देश-विदेश के धन्नासेठों की निगाहें हैं और वे इस समय प्रदेश में पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। यही भाजपा आलाकमान भी अपने चहेतों को राज्य में ज़मीने दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं। इसलिए सरकार ने अपना एजेंडा प्रदेश की बोली लगाने में लगा दिया है।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार बिल्डरों और होटलियरों को बुलावा दे रही है। जहां तक बिल्डरों का सवाल है उनको बुलावा देते हुए दलील दी जा रही है कि भूमि सुधार कानून की
धारा-118 में सरलीकरण कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश आवास प्राधिकरण का अखबारों में विज्ञापन साफ ज़ाहिर कर रहा है कि सरकार धारा-118 से छेड़छाड़ कर रही है।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार पंचायतीराज तंत्र को भी इसी बहाने कमजोर कर रही है और यह पंचायतों के अधिकारों में सीधा दखल है। चाहिए तो यह था कि सरकार केंद्र से औद्योगिक पैकेज लेकर आती और प्रदेश में औद्योगिक घरानों के पलायन रोकने के लिए व्यापक कदम उठाती। सत्ता में आते ही जिस तरह भू-सुधार कानून के संशोधन के बारे में ऐलान किया था अब उसको ज़मीन पर उतारा जा रहा है। गैर-हिमाचली अति उत्साही अफसर उनके मनसूबों को आकार देने में डटे हैं। लेकिन हिमाचल को नीलाम करने के मनसूबे अंतत: विफल होंगे।