अटल सुरंग का उद्घाटन जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे ही श्रेय की होड़ मचने शुरू हो गई है। अब कांग्रेस नेता आश्रय शर्मा ने इसका श्रेय कांग्रेस सरकार औऱ अपने पूर्व मंत्री पंडित सुखराम को दिया है। आश्रय शर्मा ने कहा कि आज भाजपा के लोग सोशल मीडिया पर इस तरह से प्रचार कर रहे हैं, जैसे यह टनल भाजपा सरकार ने ही बनाई हो और कांग्रेस सरकारों का इसमें कोई योगदान नहीं। मैं आपको यहां स्पष्ट बताना चाहता हूं कि रोहतांग टनल का नाम आज भले ही पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है लेकिन इसके निर्माण का श्रेय पूर्व की कांग्रेस सरकारों को जाता है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम की सोच के कारण आज यह टनल बनकर तैयार हो पाई है। इंदिरा गांधी इकलौती ऐसी प्रधानमंत्री रही हैं जो जनजातिय क्षेत्र में आने के साथ-साथ यहां काफी लंबे समय तक रूककर गई हैं। रात्रि विश्राम भी सिर्फ इंदिरा गांधी ने ही लाहौल जैसे दुर्गम क्षेत्र में किया है। जब प्रदेश में भाजपा और हिविकां के गठबंधन वाली सरकार थी तो उस वक्त प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मनाली आए थे। वहां पर पंडित सुखराम ने उनसे मिलकर लाहुल स्पीति के लिए टनल निर्माण का सुझाव दिया था। उस वक्त वाजपेयी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल को मनाली आने का आदेश दिया था और तीनों नेताओं (अटल बिहारी वाजपयी, प्रो. प्रेम कुमार धूमल और पंडित सुखराम) ने हेलिकॉप्टर के माध्यम से लाहौल स्पीति जाकर टनल निर्माण की आधारशिला रखी थी।
पूर्व की यूपीए सरकार के समय में इस टनल का विधिवत रूप से शिलान्यास हुआ और पूर्व सरकार के समय ही इसके निर्माण के लिए पैसा जारी हुआ। अगर आज रोहतांग टनल बनकर तैयार हुई है तो इसके निर्माण की सोच का श्रेय स्व. इंदिरा गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम को जाता है, जिनका आज कहीं कोई जिक्र नहीं किया जा रहा है। यही नहीं पांगी के लिए टनल निर्माण का सुझाव भी पूर्व मंत्री पंडित सुखराम ने ही रखा था। पंडित सुखराम का हमेशा ही जनजातिय क्षेत्रों के प्रति विशेष लगाव रहा है।
लाहुल स्पिति के लिए टनल की सोच रखने वाले और इसका शिलान्यास करवाने वाले पंडित सुखराम के योगदान को आज भाजपा नेता पूरी तरह से भूला चुके हैं और झूठा श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। आज देश और प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं और इन सरकारों के समय में इस टनल का निर्माण कार्य पूरा हुआ है और उदघाटन के चक्कर में यह इसका श्रेय लेने में जुट गए हैं। देश और प्रदेश के लोग शिक्षित हैं और आज सबकुछ आरटीआई के माध्यम से उपलब्ध है। यदि किसी को इस संदर्भ में कोई शंका हो तो वह आरटीआई के माध्यम से सारी जानकारी जुटा सकता है।