एक ओर जहां भाजपा सरकार हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार की 113वीं जयंती को बड़े स्तर पर मना रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी अपने ही नेता की जयंती का सन भूल गई। भूल भी दो चार दिन की नहीं, बल्कि एक साल की है। कांग्रेस के नेताओं ने बिना जाने परमार जयंती के कार्ड भी बना दिए हैं जिसमें बाकायदा लिखा गया है कि डॉ. परमार की 114वीं जयंती उनके पैतृक गांव बागथन में 4 अगस्त को मनाई जाएगी।
अब जिन कांग्रेस के नेताओं को हिमाचल निर्माता की जयंती का सन तक याद नहीं है वह भला पार्टी क्या चलाएंगे? इस बारे में हमने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष से फ़ोन पर बात करनी चाही लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया।
याद रहे कि डॉ. परमार का जन्म 4 अगस्त 1906 को चलग गांव में उर्दू और फारसी के विद्वान तथा कला संस्कृति के सरंक्षक भंडारी शिवानंद के घर हुआ था। पिता सिरमौर रियासत के दो राजाओं के दीवान रहे थे। वे शिक्षा के महत्व को समझते थे। इसलिए उन्होंने यशवंत को उच्च शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी शिक्षा के लिए पिता ने जमीन जायदाद गिरवी रख दी थी। डॉ. यशवंत सिंह ने 1922 में मैट्रिक और 1926 में लाहौर के प्रसिद्ध सीसीएम कॉलेज से स्नातक के बाद 1928 में लखनऊ के कैनिंग कॉलेज में प्रवेश किया और वहां से एमए और एलएलबी किया। डॉ. परमार 1930 से 1937 तक सिरमौर रियासत के सब जज और 1941 में सिरमौर रियासत के सेशन जज रहे।