शिमला में कूड़े और पानी की समस्या पर माकपा ने निगम के ख़िलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को माकपा ने निगम कार्यालय के बाहर खाली बाल्टियों के साथ विरोध जताया और निगम के ख़िलाफ नारेबाजी की। माकपा का कहना है कि बीजेपी शासित निगम लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में असफल रहा है। जो चुनावी वादे बीजेपी ने किए थे, वे सब फेल साबित हुए हैं।
पूर्व मेयर संजय सिंह चौहान ने कहा कि शहर की जनता पानी के लिए त्रस्त है, लेकिन बीजेपी शासित मेयर और पार्षद निगम के ख़जाने को खत्म करने में तुले हैं। साथ ही पूर्व मेयर ने आरोप लगाए कि बीजेपी जानबूझकर शहर में पानी का संकट खड़ा कर रही है ताकि शहर में पानी के वितरण को ठेके पर दिया जा सके। यही नहीं, बीजेपी शासित निगम ने इसके लिए पहले कंपनी का गठन कर लिया है और अपने चेहतों को फायदा पहुंचाने के लिए ये जनता को पानी के लिए तरसाया जा रहा है।
संजय चौहान ने कहा कि घर-घर कूड़ा उठाने वाली सैहेब सोसाइटी के कर्मचारियों को नगर निगम जानबूझकर परेशान कर रहा है। यही कारण है कि कर्मचारी पिछले 1 साल में कई दफा हड़ताल कर चुके हैं। बीजेपी शासित निगम कुछ नेताओं के कहने पर काम कर रहा है, जिसके चलते अपने चेहतों को फिट करवाने के लिए हर काम ढील की जा रही है।
'मेयर ने दिया बयान'
उधर, मेयर ने भी माना कि शिमला में पानी और कूड़े की समस्या है, लेकिन इतनी नहीं जितना हल्ला मचाया जा रहा है। जब निगम में कॉमरेड थे उस वक़्त एक माह तक कूड़े वाले कर्मचारियों ने हड़ताल की थी। आज पांच दिन ही हड़ताल हुई है तो इसमें विरोध क्यों…? इसी तरह का अटपटा जवाब मेयर ने पानी को लेकर भी दिया। उन्होंने कहा कि बारिश न होने की वजह से पानी के समस्या आ रही है।