पूर्व मंत्री जीएस बाली ने सरकार पर निशाना साधा है। बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि बजट पूरे वर्ष के लिए प्रदेश में विकास और जनहित कामों की रूपरेखा तय करता है। बजट के आधार पर ही विभागों की जनहित में योजनाएं तय और क्रियान्वित होती हैं। लेकिन अखबार के अनुसार आधे से ज्यादा मंत्री अपने विभागों से सबंधित कोई विजन कोई योजना कोई नीति बजट में शामिल करने को अभी तक नहीं बता पाएं हैं। और तो और मुख्यमंत्री स्कूल टीचर की तरह बार बार लास्ट डेट बोलकर यह सब सबमिट करने के लिए कह रहे हैं।
हैरानी की बात है कि दो दिन में बजट सत्र शुरू होने वाला है औऱ ऐसा रवैया बताता है कि भाजपा सरकार और उसके मंत्री अपनी जिम्मेदारियों को किस तरह से निभा रहे हैं। मुख्यमंत्री की सरकार पर क्या पकड़ है? आम जनता के हितों और प्रदेश के भविष्य से जुड़े बजट जैसे अहम मुद्दे पर सरकार की क्या संवेदनशीलता है ?आनन फानन में अब बिना विजन बिना सोच बिना स्टडी बजट में कोरी घोषणाओं को शामिल किया जाएगा और महज खानापूर्ति के लिए बजट सत्र रह जाएगा।
अपने महकमों में क्या बेहतर हो, कहां से जनता को लाभ हो, किन सुधारों की जरूरत हो ? यह सब भी जब मंत्री और उनसे जुड़ा सरकारी अमला नहीं सोच पा रहा। जब सरकार और मंत्री ये भी नहीं सोच पा रहे तो प्रदेश की तरक्की में क्या योगदान इनके द्वारा दिया जाएगा।