हिमाचल सरकार का नारा शिखर की ओर हिमाचल की हकीकत लगातार सामने आ रही है। 3 साल बाद अब प्रदेश सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। देहरा में अनुराग से फजीहत के बाद अब पूर्व मंत्री जीएस बाली ने भी सरकार को आइना दिखा दिया है। सोशल मीडिया में जारी अपने बयान में बाली ने तथ्यों के साथ साफ साफ कहा कि सरकार मात्र पट्टिकाए लगाने में व्यस्त है। सरकार को पता ही नहीं है कि कौनसी फंडिंग किस काम के लिए आ रही है।
आलम ये है कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा को ओर बेहतर करने के लिए आया करोड़ो का फंड अब लैप्स हो गया है और बाकी लैप्स होने की कगार पर है। इसे सरकार इस्तेमाल ही नहीं कर पाई है। आज हम आपको बता रहे हैं कि 55 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे प्रदेश की टेक्निकल शिक्षा सुधारने को मिली वित्तीय फंडिंग की स्थिति क्या है?
TEQIP-3 (Technical Education Quality Improvement Program ) के तहत राज्यों को टेक्निकल (इंजीनियरिंग) संस्थानों में शिक्षा की क्वालिटी सुधारने के लिए फंडिंग बाहरी सोर्सेस से आ रही है। इसके तहत शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने लैब बनाने सामान लेने लैब के लिए नए-नए इंस्ट्रूमेंट लेने सॉफ्टवेयर लेने आदि का प्रावधान है । इसके अतिरिक्त स्टाफ की कमी होने पर TEQIP कुछ समय के लिए अपनी ओर से हाई क्वॉलीफाइड स्टाफ की भर्ती करता है जिसकी सैलरी का खर्च प्रदेश सरकार नहीं बल्कि TEQIP को उठाना है ।
हिमाचल प्रदेश के संस्थानों को फंडिंग के लिए सिलेक्ट किया गया है जिसके तहत इन संस्थानों को 2017 से 2020 तक करोड़ों रूपये फंडिंग में दिए गए । लेकिन हमारे राज्य हिमाचल की सरकार और सिस्टम को इस फ्री फंडिंग की जरूरत महसूस नहीं हुई । न उन्हें यह लगा कि इस पैसे से क्या फायदा लिया जाए । समय पर फ्री में आई फंडिंग भी खर्च न हो पाई तो TEQIP में मिला फंड लैप्स किया गया और फंडिंग मे कटौती कर दी गई ।
कितना मिला फंड कितनी हुई कटौती ?
TEQIP-3 के तहत हिमाचल को 50 करोड़ की मदद दी गई थी जिसमे जवाहरलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज सुंदरनगर को 10 करोड़ , राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज नगरोटा बगवां को 10 करोड़, अटल बिहारी वाजपेयी इंजीनियरिंग कॉलेज प्रगति नगर शिमला को 10 करोड़, हिमाचल प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी हमीरपुर को 20 करोड़ की मदद दी गई है। समय पर फंड खर्च ना करने के चलते JNEC सुंदरनगर में 1 करोड़ कटौती, प्रगतिनगर कॉलेज में 2 करोड़ कटौती, HPTU हमीरपुर में 4 करोड़ कटौती की गई है ।बाकी का बचा फंड भी अगर इस्तेमाल नहीं हुआ तो और कटौती की आशंका है और करोड़ो फंड लैप्स भी हो सकता है
सबसे शिक्षित राज्यों में शुमार हिमाचल प्रदेश का TEQIP के तहत फंडिंग को प्रयोग करने में पूरे भारत में नीचे से तीसरा स्थान है । झारखंड बिहार भी हमारे राज्य से बेहतर काम कर रहे हैं । लेकिन यहां सिर्फ शिखर की ओर हिमाचल के नारे चले हैं ।
जीएस बाली ने आरोप लगाए की TEQIP के तहत हाई क्वालिफाइएड स्टाफ जहां हर राज्य के संस्थानों में सेवाएं दे रहे हैं । हिमाचल सरकार द्वारा संस्थानों में उनकी जरूरत महसूस नहीं की गई । कर्ज में डूबी सरकार के पास जब अपने बजट से कुछ खास संस्थानों को देने के लिए नहीं है तो कम से कम जो फ्री फंड बाहर से आ रहा है उसका प्रयोग तो छात्र हित मे किया जाए। या उसकी जरूरत ही महसूस नहीं हो रही है ?
बाली ने कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग औऱ संस्थानों को राम भरोसे न चलाया जाए । छात्र हित मे संस्थानों को मिले पैसे का लैप्स होना बहुत शर्मनाक है। मैं फिर कहता हूं सरकार और मंत्री पोस्टरों से बाहर आएं, अफसरों के साथ बैठे विभागों की कार्य प्रणाली रिव्यू करें। फ़ाइल खंगालें और पहले समझें कि कहां-कहां से प्रदेश को बजट आता है और जमीन पर उसकी क्या स्थिति है।
वहीं, तकनीकी शिक्षा विभाग के डायरेक्टर विवेक चंदेल से जब मामले के चलते बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने व्यक्त होने की बात कही और की मैं बयान नहीं दे सकता। उधर तकनीकी शिक्षा मंत्री राम लाल मारकंडे ने कहा कि मेरे तकनीकी शिक्षा मंत्रालय सम्भालने से पहले यह फंड लैप्स हुआ था। मैंने आते फंड को सदुपयोग करने के आदेश जारी कर दिए है और भविष्य में दोबारा फंडिंग लैप्स ना हो इसका भी ध्यान रखने के लिए अधिकारियों को आदेश दिए गए है।