शिमला-मटौर फॉरलेन रद्द होने पर जीएस बाली ने दुख जताया औऱ प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया। पूर्व मंत्री ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार और परिवहन विभाग सहित उच्च अधिकारियों के लगातार प्रयासों के बाद नितिन गडकरी से इसके लिए आग्रह किया था। हमारे अथक प्रयासों के बाद केंद्रीय मंत्री ने उस समय घोषणा ही नहीं की, बल्कि इन मार्गों का सर्वे तक करवाने के आदेश जारी किए। लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद ये जानकर दुख हो रहा है कि शिमला-मटौर और पठानकोट-मनाली राष्ट्रीय उच्च मार्गों से को रद्द करके केंद्र सरकार ने पल्ला झाड़ लिया है।
इस क्रिया से मुझे ऐहसास ही नहीं, बल्कि विश्वास भी हो रहा है कि वर्तमान जयराम सरकार ने इन योजनाओं को कार्यरूप देने में कोई काम नहीं किया। विडंबना की बात यह है कि उपरोक्त परियोजनाओं के दस्तावेज केंद्र सरकार के आधीन NHAI को भेजे गए थे। जब यह परियोजनाएं रद्द हो गई हैं तो यह दस्तावेज NHAI के पास ही रहने चाहिए थे, न कि हिमाचल लोक निर्माण विभाग के पास। आज के दौर में प्रदेश लोक निर्माण विभाग राज्य, जिला स्तरीय और अन्य छोटे छोटे मार्गों का रख रखाव भी नहीं कर पा रहा है।
जीएस बाली ने कहा कि ये काम जनता की मूलभूत सुविधाओं से जुड़ा हुआ था औऱ इसमें से शिमला की दूरी 200 किलोमीटर से कम होकर मात्र क़रीब 50 किलोमीटर की हो जानी थी। मैं हिमाचल प्रदेश की जनता से एक ही अपील करना चाहता हूं कि अपने हक की लड़ाई हमें पूरी ताकत से लड़नी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मुझे हिमाचल के भविष्य की तस्वीर बहुत ही धुंधली दिखाई दे रही है।
यदि आज हम इन जन विरोधी निर्णयों के खिलाफ एक जुट हो कर नहीं लड़े तो एक दिन खाली हाथों से ताली ही बजानी पड़ेगी। मेरा प्रदेश के मुख्यमंत्री से निवेदन है कि तुरन्त दिल्ली जाकर उक्त परियोजनाओं के निर्माण को बहाल करवाएं। अगर सरकार इसमे भी विफल रहती है तो ये प्रदेश के 80 प्रतिशत लोगों के साथ अन्याय होगा, जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।