वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में सबसे ज्यादा पीड़ित वे लोग हैं जो अपने घरों से दूर हैं। पिछले कई दिनों में आपने देखा होगा कि लोग पैदल ही दिल्ली-चंडीगढ़ से अपने घरों की ओर रुख कर रहे हैं। इस दौरान उन्हें ख़ाने पीने की भी दिक्कत हो रही है क्योंकि कर्फ्यू के कारण सभी ढाबे औऱ दुकानें बंद हैं।
इस हालात में लोग एक दूसरे के लिए दुआ कर रहे हैं। कुछ लोग सरकार से ऐसे लोगों को मदद करने की अपील कर रहे हैं तो कुछ लोग इन लोगों को वापस लाने की पैरवी कर रहे हैं। इन सब के बीच कई पुरानी घटनाओं को लोग याद कर रहे हैं जो आज के दौर में एक नज़ीर बन सकता है।
ऊना के एक पत्रकार अविनाश विद्रोही ने अपने सोशल मीडिया पेज पर एक वाक्या शेयर किया है और लिखा है 'आज GS बाली बहुत याद आए।'… आगे उन्होंने जिक्र किया है उस वाक्या का जब पूर्व मंत्री जीएस बाली पहली बार परिवहन मंत्री बने थे और पंजाब में लॉ एंड ऑर्डर ख़राब हुए थे। जीएस बाली ख़ुद ही जालंधर पहुंच गए थे और वहां फंसें एक एक हिमाचली को घर वापस लेकर आए थे।
पत्रकार ने लिख़ा है कि आज की स्थिति में हर पत्रकार, पुलिस कर्मी, सरकारी अधिकारी सभी के पास एक ही तरह के फ़ोन आ रहे हैं कि हम फ़सें हुए है हमें मदद चाहिए..?? सरकार से भी उम्मीद लगाई गई है कि सरकार मदद करेगी। ऐसे हालात में लोग अपने जन प्रतिनिधियों की ओर देख रहे हैं, लेकिन हर तरफ़ से उन्हें निराश होना पड़ रहा है। ऐसे वक़्त में पत्रकार अविनाश विद्रोही की बात बिलकुल सटीक बैठती है कि 'आज GS बाली बहुत याद आए।'
कारण… ऐसे वक़्त में ही जन प्रतिनिधियों की असली परीक्षा होती है कि कैसे वे अपने लोगों को सहायता मुहैया करवा पाएं। उनके ख़ाने पीने के व्यवस्था करें, उनकी घर वापसी सुनिश्चित करें जो सालों पहले बतौर मंत्री जीएस बाली ने किया था।