2016 में बने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय शिमला (घंडल) का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। शिमला में गुरुवार को छात्रों ने पत्रकार वार्ता में यूनिवर्सिटी द्वारा दी जा रही मूलभूत सुविधाओं पर सवाल उठाए। छात्रों ने कहा कि शिमला में यूनिवर्सिटी नहीं… दुकान चल रही है।
दरअसल, मूलभूत सुविधाओं जैसे पीने के पानी, खाने की गुणवत्ता और क्लास रूम में सुविधाओं की कमी को लेकर कानून की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं ने सवाल उठाए है। जिसको लेकर छात्र का आंदोलन 10 दिन से जारी है। छात्रों का कहना है कि जितनी फ़ीस यूनिवर्सिटी ले रही उसके बदले सुविधाएं न के बराबर दे रही है। छात्रों की मूलभूत सुविधाओं की 13 मांगे है।
यूनिवर्सिटी के छात्रों एसके चौधरी , शिवारमण उज्ज्वल और पाखी जैन का आरोप है कि लाखों की फ़ीस खर्च करने ले बावजूद भी उन्हें घटिया खाना परोसा जा रहा है। पीने के पानी की भारी किल्लत है। इंटरनेट की सुविधा भी नहीं है, छात्रावासों के कमरों में पर्दे, पानी और कपड़े धुलाने की सुविधाएं भी नहीं है। मेडिकल सुविधा तक यूनिवर्सिटी में मौजूद नहीं है। यूनिवर्सिटी में 400 छात्रों के लिए मात्र एक बस है। आरटीई तक की सूचना यूनिवर्सिटी नहीं दे रही है। यूनिवर्सिटी हर साला 2 लाख 27 हज़ार 500 रुपए फीस ले रही है लेकिन सुविधाएं न के बराबर है।