सेलेब्रिटीज़ बढ़ाएंगे सरकारी स्कूलों की ‘वैल्यू!’, रुझान बढ़ाने के लिए सरकार की अनूठी पहल

<p>प्रदेश के सरकारी स्कूलों में घटती बच्चों की संख्या को बढ़ाने के लिए सरकार ने एक अनूठी योजना बनाई हैं। इसका नाम है &#39;अखंड शिक्षा ज्योति, मेरे स्कूल से निकले मोती&#39; रखा गया है। इस योजना के माध्यम से हिमाचल की तमाम बड़ी हस्तियां, सेलेब्रिटिज़ अपने स्कूलों(हिमाचल में जहां उन्होंने पढ़ाई की है) में जाकर बच्चों का रूझान बढ़ाएंगी। यानी सीधे तौर पर योजना का मकसद सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों का विश्वास को कायम रखना है।</p>

<p>योजना का शुभारम्भ 8 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी के सिराज विधानसभा क्षेत्र में चल रहे बगस्याड़ स्कूल से करेंगे। यहां से मुख्यमंत्री ने खुद शिक्षा प्राप्त की है। पिछले कुछ सालों से प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता घटी है जिसके कारण अभिवावक ने निजी स्कुलो का रुख किया है। यही नहीं सरकार नेशनल कंपनियों में कार्यरत हिमाचल के सरकारी स्कुलो में पढ़ी हस्तियों से भी सरकारी स्कुलो में सहयोग के लिए आग्रह करेगी।&nbsp; &nbsp;</p>

<p>इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा है कि योजना के अंतर्गत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से उन शख्सियतों और सफल व्यक्तियों से परिचय करवाया जायेगा। जो उस पाठशाला में पढ़ करके एक अच्छे मुकाम पर पहुंचे हैं, ताकि बच्चे भी उनसे प्रेरित होकर सरकारी स्कुलो में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आये। &nbsp;</p>

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<p>शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा है कि प्रदेश के सभी विधायक सरकारी स्कूलों से ही पढ़े हैं। इसलिए सरकार ने सभी विधायकों से कहा है कि वे भी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में जाकर बच्चों और अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में बच्चे पढ़ाने के लिए प्रेरित करें, जहां से उन्होंने खुद शिक्षा ग्रहण की है। भारद्वाज का मानना है सेलेब्रिटी के स्कूल में आने से बच्चों को ये भावना पैदा होगी, जब सरकारी स्कूल से पढ़ा हुआ बच्चा प्रदेश का मुख्यमंत्री बन सकता तो वे भी सरकारी स्कुल में पढ़ कर अच्छा मुकाम हासिल कर सकते है।<br />
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<span style=”color:#e74c3c”><strong>क्या है आंकड़ें…</strong></span><br />
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सरकारी स्कूलों में कम होती विद्यार्थियों की संख्या के पीछे शिक्षकों की कमी भी सामने आ रही है। पिछले चार साल में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 1 लाख 17 हजार 554 लाख विद्यार्थियों कम हुए हैं। 2013-14 में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या 10,07,196 थी। 2014-15 में घटकर 9,59,147 रह गई । शैक्षणिक सत्र-2017 तक यह संख्या घटकर 8,89,642 रह गई है। प्रदेश में 15,327 सरकारी स्कूल हैं। इन स्कूलों में 10,710 प्राइमरी और 2130 मिडल स्कूल हैं। सीनियर सैकेंडरी स्कूलों की संख्या 2487 है।</p>

<p>ये भी सच है कि हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों की दशा किसी से छुपी नहीं है। साल दर साल सरकारी स्कूलों में बच्चो का एनरोलमेंट कम होता जा रहा है। इसकी वजह है शिक्षकों की कमी और शिक्षा की गुणवत्ता। लेकिन अब जयराम सरकार स्कूलों में एनरोलमेंट बढ़ाने के लिए इस योजना शुरू कर रही है। अब देखना ये होगा कि जयराम सरकार की &#39;अखंड शिक्षा ज्योति, मेरे स्कूल से निकले मोती &quot;योजना सरकारी स्कुलो में कितनी एनरोलमेंट बढ़ा पाती है और प्रदेश के सरकारी स्कूलों की दशा ठीक कर पाती है…??</p>

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