वैसे तो डॉक्टर को भगवान का रूप कहा जाता है क्योंकि भगवान के बाद कोई जिंदगी दे सकता है तो वह डॉक्टर हैं। लेकिन ये तब संभव हो पाता है जब मरीज अस्पताल में पहुंच जाए। लेकिन सड़क पर अंतिम सांस गिन रहे मरीज़ को डॉक्टर अपनी गाड़ी में अस्पताल ले जाए तो वह किसी फ़रिश्ते से कम नहीं। ऐसा ही वाक्या बीती शाम देखने को मिला जब छोटा शिमला में पीडब्ल्यूडी के कर्मी रमेश छुट्टी कर अपने गांव मशोबरा लौट रहे थे। अचानक बस में उसे बैचेनी महसूस हुई और रमेश छोटा शिमला में बस से उतर गया ओर उतरते वो फुटपाथ पर गिरकर बेहोश होकर गिर गया।
किसी ने उसकी मदद नहीं की। अचानक वहां से आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज गुजरे तो उनकी नज़र सड़क किनारे बेसुध पड़े रमेश पर पड़ी। उन्होंने तुरंत अपनी गाड़ी रुकवाकर उसे चेक किया। रमेश की हालत चिंताजनक थी। डॉ जनक ने बिना देरी किए रमेश को अपनी गाड़ी से आईजीएमसी पहुंचाया और चिकित्सकों की टीम ने कड़ी मेहनत से रमेश को नई जिंदगी दी। या यूं कहें कि भगवान मौत खाली हाथ लौट गई तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।