<p>जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कौल सिंह ठाकुर के बयानों का पलटवार किया है। महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि कौल सिंह तो खुद मुख्यमंत्री बन नहीं पाए मग़र हमारे मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। कोरोना काल में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने महामारी से निपटने में दूरदर्शिता का परिचय दिया और बड़ी सूझबूझ के साथ महामारी पर काबू पाया है। इसके चलते उन्हें देश का नंबर वन मुख्यमंत्री का खिताब मिला है।</p>
<p>उन्होंने कहा कि जब कोरोना का जोर था उस समय कांग्रेसी अपने बिलों में छुपे हुए थे। मगर जैसे ही स्थिति में सुधार हुआ तो कांग्रेसी बिलों से बाहर निकलना शुरू हो गए। भाजपा के कार्यकर्ताओं और विधायकों ने मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए अपने-अपने क्षेत्र में काम किया है। लोगों के बीच मास्क, सेनेटाईजर बांटने के अलावा गरीबों और प्रवासी मजदूरों को मुफत राशन बांटा गया।<br />
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मंत्री ने कहा कि कांग्रेसी बताएं कि इस दौरान उन्होंने लोगों के बीच जाकर क्या किया। जबकि प्रदेश कांग्रेस की ओर से कांग्रेस हाईकमान को 12 करोड़ का बिल भेज दिया। आजादी के 70 सालों के बाद पहली बार मंडी जिला को मुख्यमंत्री का पद हासिल हुआ है। जब कर्म सिंह ठाकुर मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में थे तो पंडित सुखराम ने उनका रास्ता रोका और जब सुखराम मुख्यमंत्री बनने वाले थे तो कौल सिंह ठाकुर ने अडंग़ा अड़ा दिया। जबकि कौल सिंह ठाकुर ने कई चुनाव मुख्यमंत्री के नाम पर जीते। स्वयं तो मुख्यमंत्री नहीं बनें मगर जयराम ठाकुर से इस्तीफा मांग रहे हैं। शिमला जिला से कभी भी किसी दल ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से इस्तीफा नहीं मांगा है।</p>
<p>महेंद्र सिंह ने कौल सिंह ठाकुर पर हल्ला बोलते हुए कहा कि वे जब-जब भी मंत्री बने स्कैंडल हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए कौल सिंह ठाकुर ने ऑक्सिजन गैस स्कैंडल किया। डेढ सौ में मिलने वाला सिलेंडर ढाई सौ रूपए में दिया गया। इसके अलावा मंडी में एसआरलैब को प्राईवेट पार्टी को क्यों दी गई, दाल में जरूर कुछ काला है। कौल सिंह जब 2003-2007 में आईपीएच मंत्री थे तो उस दौरान द्राबला कांड हुआ। कौल सिंह ठाकुर के स्टोन क्रशर की पैनल्टी 2 करोड़ 90 लाख अभी तक जमा नहीं करवाई है। जबकि उनके स्टोन क्रशर ने पूरी की पूरी पहाड़ी खोखली कर दी हैए जिससे पहाड़ी को खतरा हो गया है।</p>
<p>उन्होंने कहा कि आईपीएच मंत्री रहते हुए दरंग विधानसभा क्षेत्र की पंजौंडी नाला पेयजल योजना का काम शुरू कर दिया। मगर वहां रैस्ट हाउस का निर्माण तो कर दिया, लेकिन जहां से पानी आना था वहां पाईपें नहीं बिछाई गई। इसके लिए सेंक्चयुरी एरिया का बहाना बनाया गया, जबकि वह 2013 में इससे बाहर कर दिया गया था। जिन वैंटिलेटर की कीमत कौल सिंह ठाकुर साढ़े तीन लाख रूपए बता रहे हैं। वे महज शोपीस ही थे जबकि 10 लाख 29 हजार रूपए की लागत से वेंटिलेटर खरीदे गए हैं।</p>
<p>उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में दवाओं, मास्कए सेनेटाइजर और वेंटिलेटर की खरीद में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती गई है। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य निदेशक को भ्रष्टाचार के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दिया है। भाजपा सरकार ने कोविड-19 फंड के एक.एक पैसे का सदुपयोग किया है।</p>
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