जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 12 हजार करोड़ से भी अधिक राशि अधिकारियों की लापरवाही की वजह से खर्च ही नहीं हो पाई है। मीडिया से बातचीत करते हुए महेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में 2001 से लेकर 2020 तक विभिन्न विभागों में इतने बड़े पैमाने पर राशि बिना खर्च किए ही रह गई है। इसको लेकर कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि जिला और उपमंडल स्तर तक जाकर मंत्री और विधायक अधिकारियों के साथ बैठकें कर बिना खर्च किए गए पैसे का हिसाब लेगी।
बुधवार को उन्होंने मंडी जिला के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर बिना खर्च किए पैसे का हिसाब मांगा। इस दौरान मंत्री ने अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए उनकी जमकर क्लास भी ली। महेंद्र सिंह ने कहा कि अकेले मंडी जिला में 13वें और 14वें वित्तायोग के अलावा कुछ विभागों में 100 करोड़ से भी अधिक की राशि अभी भी बिना खर्च किए रह गई है। जबकि लोनिवि, वन और आईपीएच महकमों का हिसाब अभी आना बाकि है। इसके बाद यह आंकड़ा 15 हजार करोड़ तक भी पहुंच सकता है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए लापरवाह और बहानेबाज अधिकारी जिम्मेदार हैं। कुछ अधिकारियों की मानसिकता यह हो गई है कि उनके महकमों में विकास कार्यों के लिए जो भी पैसा आता है उसे बैंकों में जमा करवा देते हैं और उसका ब्याज लेते रहते हैं। और अगर इस बारे में पूछा जाए तो कोई न कोई बहाना बना दिया जाता है। केंद्र सरकार से विकास कामों के लिए धनराशि चरणबद्ध तरीके से प्राप्त होती है।
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सोच की वजह से आज तक बिना खर्च किए रह गई धनराशि को विकास कार्यों पर खर्च किया जाएगा। यह राशि इतनी है कि इससे प्रदेश में डेढ़ साल तक केंद्र से वित्तीय मदद की आवश्यक्ता नहीं रहेगी। कोरोना ने बहुत कुछ सिखाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार इस दौर को नई संभावनाओं के तौर पर देखा जाना चाहिए। ऐसे में कोरोना अभिशाप नहीं नई संभावनाओं की तलाश है। महेंद्र सिंह ने कहा कि हिंदुस्तान दुनिया की सबसे बड़ी मार्किट है। संकट के इस दौर में भी किसानों और बागवानों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम मिल रहे हैं।