<p>कांगड़ा के फतेहपुर विधानसभा का एक गांव हर बार चुनावी सौगातों से लद जाता है, लेकिन जैसे ही चुनाव ख़त्म हो जाए इस गांव की अनदेखी होने लगती है। उसी हालातों में गांव के लोग जीने लगते हैं और सब पहले जैसा ही चलने लगता है। ये गांव है फतेहपुर का कुठेड़ा गांव जहां हर बार संसदीय चुनावों के चलत पौंग बांध के बीच के इस गांव को पोलिंग के लिए हर बार कहा जाता है। लेकिन मिलता कुछ भी नहीं।</p>
<p>इस बारे में जब प्रशासन सहित स्थानीय नेताओं को पूछा जाए तो इस गांव को अवैध बता इससे किनारा कर लिया जाता है। साल के करीब आठ माह गांव पौंग के पानी से चारों तरफ घिरा रहता है और अपनी रोजमर्रा जरूरतों को पूरा करने तथा बच्चों को स्कूल तक पहुंचने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ता है। जब कोई बीमार हो जाए तो मरीज को भी नाव के सहारे पर निर्भर रहना इन लोगों की मजबूरी बन चुकी है।</p>
<p>बरसात में पौंग का जलस्तर इतना बढ जाता है कि इन लोगों का सफर दोगुना लंबा और जिंदगी जोखिम में डालकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पडता है। संसदीय चुनाव गर्मियों में होने के चलते जलस्तर कम होने के कारणा पोंलिग पार्टी इस बार गाड़ी के सहारे गांव तक पहुंच पाई है। सेक्टर ऑफिसर रविन्द्र कंदोरियाव प्रोजेटिंग आफिसर संजीव शर्मा ने बताया कि चुनाव संबंधी पूरी तैयारियां कर ली गई हैं।</p>
<p>वहीं, बिजली का बिशेष प्रबंध किया गया है। चुनाव संबंधी पूरी टीम बूथ नंबर 103 साथ कुठेडा में पहुंच गई है। गांव में कुल 96 मतदाता है जिनमें 56 पुरुष व 40 महिला है। गांव के बाशिंदे भी अपनी मांगों और विकास के लिए खुलकर बाहर नहीं आते है। इन लोगों को हर बार यही डर सताता है कि प्रशासन गांव को अवैध बताकर कभी भी इन्हें घरों से बाहर निकाल सकते हैं।</p>
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