पूर्व में सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाने वाले विधायक अनिल शर्मा मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अकेले दिखे। विधायक अनिल शर्मा कार्यक्रम में शामिल तो हुए, लेकिन उद्घाटन और शिलान्यास कार्यक्रम के बाद उन्हें वे मान सम्मान नहीं मिल पाया। पहले वे सभा के दौरान पीछे बैठने लगे तो उन्हें कुर्सी देकर आगे बिठाया गया, लेकिन जब सम्मानित करने का दौर चला तो विधायक का नाम सूची में ही नहीं था। संबोधन में नगर परिषद अध्यक्ष सुमन ठाकुर को बोलने का मौका दिया गया, लेकिन विधायक को बोलने का मौका तक नहीं दिया गया।
वहीं कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री द्वारा भी साथ न चलने की बात कहकर पुराने जख्मों को कुरेद दिया। हालांकि उन्होंने पुरानी बातों का जिक्र न करने की बात कही, लेकिन भविष्य में बेहतर तरीके से साथ चलकर बेहतर काम करने की बात कहकर मरहम लगाने का काम भी किया। मंच से मुख्यमंत्री ने उन्हें बातों ही बातों में तंज भी कसे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनिल शर्मा आज साथ चलते तो कुछ बात और होती लेकिन ये पारिवारिक मजबूरियां बताते रहे। नगर निगम के लिए कुछ लोग ग्रामीणों को विरोध के लिए उकसाते रहे लेकिन अधिकांश शहरी लोग समर्थन में थे और विरोध के लिए उकसाने वाले उन्हें रोक नहीं पाए।
उधर,अनिल शर्मा मुख्यमंत्री का संबोधन खत्म होने के तुरंत बाद वहां से चले गए, जबकि इसके बाद मंडल मिलन आदि कार्यक्रम होने थे। याद रहे कि लोकसभा चुनाव में अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा ने कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ा था। उस समय से ही अनिल शर्मा और सरकार के बीच दूरी बन गई। गत दिनों भी अनिल शर्मा ने पत्रकार वार्ता कर मंडी हलके की अनदेखी का आरोप लगाया था।