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निगम के होटलों को बेचे जाने का मामला सदन में गर्माया, विपक्ष ने सदन से किया वॉकआउट

पी. चंद |

हिमाचल मॉनसून सत्र के 7वें दिन जैसे ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ राजीव बिन्दल ने प्रश्नकाल शुरू किया नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने पर्यटन निगम के होटलों को बेचे जाने का मामला उठाया और इस पर चर्चा की मांग उठाई। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियम 67 स्थगन प्रस्ताव के तहत जो मांग आई है उस पर अभी निर्णय नहीं लिया है। ये मामला गैरसरकारी दिवस में लगा है, इसलिए इसको 67 में लगाने की जरूरत नहीं है। इस पर विपक्ष भड़क गया और सदन में हल्ला करने लगा।

अग्निहोत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ये कह रहे है कि ग़लती से वेबसाइट में डाल दिया गया है। ये ग़लत है बल्कि साज़िश के तहत निगम की संपत्तियों को बेचने का काम हो रहा है। उधर, सत्ता पक्ष ने कांग्रेस पार्टी पर अपने कार्यकाल में हिमाचल के हितों को बेचने का आरोप लगाया। इस पर पहले विपक्ष ने नारेबाजी शुरू की उसके बाद सत्ता पक्ष की तरफ से भी नारेबाज़ी शुरू हो गई। दो दल सदन के अंदर एक दूसरे के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करने लगे।

थोड़ी देर बाद सत्ता पक्ष तो चुप हो गया लेकिन विपक्ष के तरफ़ से नारेबाज़ी जारी रही। इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू करने की घोषणा कर दी। इस पर विपक्ष चर्चा पर अड़ा रहा। विपक्ष की नारेबाज़ी के बीच मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर उठे और कहने लगे कि गलती से वेबसाइट में ये डाला गया। लेकिन होटलों को बेचने का सवाल ही खड़ा नहीं होता है। इस मामले पर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। मुख्यमंत्री ने विपक्ष से पूछा कि वाइल्ड फ्लावर हॉल किसने बेचा? जिससे हिमाचल को आज तक एक पैसा तक नहीं मिला।

इस पर भी विपक्ष नहीं माना जिसको देखते हुए डॉ बिन्दल ने विपक्ष के नेता को बोलने का मौका दिया। अग्निहोत्री बोले कि सरकार ने 16 पर्यटन निगम के होटलों को रेट सहित बेचने का प्लान वेबसाइट में डाल दिया। यदि मुख्यमंत्री को नहीं पता है तो बताएं ये किसने डाला?

इस जवाब में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा की कांग्रेस पार्टी के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए इस तरह के मामलों को उठाने का प्रयास किया जा रहा है। इतना ज़रूर है कि पर्यटन निगम के कई होटल घाटे में चल रहे है उनके ऊपर कांग्रेस सरकार भी चिंता ज़ाहिर कर चुकी है। गलती से प्लान वेबसाइट में डाला गया है। इसलिए होटलों को बेचने का सवाल ही नहीं उठता। कांग्रेस सरकार ने 1995 में प्राइम प्रॉपर्टी वाइल्ड फ्लावर हॉल जैसी संपत्ति को बेच दिया। सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसकी जांच के आदेश कर दिए है जिसकी जांच रिपोर्ट 3 दिन के भीतर मांगी गई है। मुख्यमंत्री के जवाब से नाराज़ विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।