बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार औऱ शिमला से सांसद वीरेंद्र कश्यप की अब मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। सांसद के खिलाफ दर्ज शिकायत पर कोर्ट ने आज कड़ा संज्ञान लेते हुए उनपर भ्रष्टाचार के चार्जेस फ्रेम कर दिये हैं। कोर्ट ने ये संज्ञान एक प्रार्थी की याचिका पर लिया है।
क्या है मामला…
दरअसल, 20 अप्रैल 2009 को लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद वीरेंद्र कश्यप द्वारा रिश्वत लेने का मामला सामने आया था। इसमें एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जिसमें सांसद वीरेंद्र सरेआम पैसे लेते दिख रहे थे। इसके बाद मामला दर्ज तो हुआ, लेकिन उक्त समय में प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और लोकसभा चुनाव चल रहे थे। इसके चलते जांच ठीक से नहीं हो पाई।
हालांकि, तत्कालीन सरकार ने फरवरी 2010 में विशेष जांच दल का गठन कर इस प्रकरण की छानबीन करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण विशेष जांच दल ने यह कहकर केस को बंद कर दिया था कि सांसद पर लगाए गए इन आरोपों पर कोई केस नहीं बनता है।
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इसके बाद, 6 मार्च 2014 को मौजूदा शपथ पत्र के मुताबिक वीरेंद्र कश्यप के खिलाफ राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत फिर से मामला दर्ज कर लिया था। इसपर सोलन न्यायालय में शनिवार को सुनवाई हुई और सांसद के खिलाफ चार्जेस फ्रेम हुए। प्रार्थी ने याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि इस बारे में लोकसभा की तत्कालीन स्पीकर को शिकायत की गई थी, लेकिन इसके बाद भी सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।