राजधानी शिमला में नाबार्ड ने वित्तीय वर्ष 2020-21 हेतु स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन किया। इस अवसर पर नाबार्ड स्टेट फोकस पेपर 2020-21 और नाबार्ड की दसेरन जलागम परियोजना-प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन की रिपोर्ट का विमोचन किया। इस साल के स्टेट फोकस पेपर का विषय हाई-टेक कृषि है और इस स्टेट फोकस पेपर में कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों के अंतर्गत राज्य में 25 लाख 85 हज़ार 726 करोड़ के ऋण प्रवाह की संभाव्यता का आकलन किया गया।
इस दौरान नाबार्ड के अधिकारियों ने लघु और सीमात किसानों के लाभ हेतु राज्य में अधिक किसान उत्पादक संगठनों के गठन औऱ उनके द्वारा हाई-टेक कृषि अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने सूचित किया कि नाबार्ड से 8.50 करोड़ की वित्तीय सहायता के साथ राज्य में 90 किसान उत्पादक संगठन पहते ही गठित किए जा चुके है। साल 2020-21 हेतु नाबार्ड द्वारा तैयार किए गए स्टेट फोकत पेपर में महत्वपूर्ण आधारभूत सरचना की पहचान की गई है और स्थायी विकास हेतु सुचारु ऋण प्रवाह सुगम बनाने हेतु सुझाव दिए गए है।
नाबार्ड का यह स्टेट फोकस पेपर राज्य सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर योजना हेतु एक ब्लू प्रिंट के रूप में काम करेगा और बैंकों द्वारा राज्य हेतु तैयार की जाने वाली वार्षिक ऋण योजना 2020-21 का आधार बनेगा। सेमिनार की अध्यक्षता करने पहुंचे पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने नाबार्ड के विभिन्न प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि नाबार्ड और सरकार के बीच एक मजबूत साझेदारी के कारण राज्य को अत्यधिक लाभ हुआ है। हिमाचल प्रदेश में यह साझेदारी राज्य के बुनियादी ढांचे में प्रगतिशील विकास के संदर्भ में दृढ़ता से परिलक्षित होती है।
फसलों की उच्च तकनीकी (संरक्षित) खेती सब्जियों की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार हेतु भारतीय किसानों द्वारा भी अपनाई जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश भी इस खेती से अछूता नहीं है और निचली, मध्य एवं मध्य पहाड़ियों के अधिकांश उत्पादक इस तकनीक को अपना रहे हैं।