किसानों-बागवानों की भाग्य रेखा कही जाने वाली सड़कें अनदेखी के चलते गड्डो में तब्दील हो चुकी है। सड़को की दुर्दशा और बदतर स्थिति से सड़कों में गड्ढ़े हैं या गड्ढों में सड़क यह अनुमान लगाना मुश्किल हो गया हैं। यह बात जुब्बल नावर कोटखाई के पूर्व विधायक और पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि सेब बाहुल्य क्षेत्र के ढांचागत विकास को गति देने के उद्देश्य से ठियोग-हाटकोटी सड़क को स्तरोन्नत करना पूर्व कांग्रेस सरकार के प्रयासों और विश्व बैंक से वित्तपोषित कर 92% कार्य वर्ष 2017 में मुक्कमल हो चुका था लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद स्थानीय विधायक ने संकीर्ण मानसिकता और द्वेषपूर्ण राजनीति के चलते मात्र 8% शेष बचे निर्माण कार्य को समयावधि पूर्व ही रद्द कर दिया।
ठियोग-हाटकोटी सड़क के निर्माण कार्य रोकने से निर्माणाधीन पुलों के सरिए जंग लगने से ख़राब हो रहे हैं जिससे सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगी हैं। अब चुनाव को मात्र 2 वर्ष शेष है यदि पिछले 3 वर्षों में 2% प्रति वर्ष की गति से निर्माण कार्य में प्रगति हुई होती तो भी ठियोग-हाटकोटी सड़क योजना का कार्य अब तक पूर्ण होने के करीब होता। रोहित ठाकुर ने भाजपा पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2015 में भाजपा ने सस्ती लोकप्रियता और झूठी वाहवाही की ख़ातिर प्रदेश में 69 राष्ट्रीय राजमार्ग जिसमें जुब्बल-नावर-कोटखाई में भी 5 राष्ट्रीय राजमार्ग खोलने की बात की थी अब हाल में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के दिए बयान से जुमला साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि छैला-नैरीपुल-यशवंत नगर-सोलन-औछघाट-कुमारहट्टी सड़क जिसे हॉर्टिकल्चर सड़क भी कहा जाता हैं के हालात सरकार के उदासीन रवैये से बद से बदतर बने हुए हैं। इस सड़क को स्तरोन्नत औऱ पक्का करने के लिए पूर्व कांग्रेस सरकार ने विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित योजना के फेस टू के तहत डाला था जिसे भाजपा सरकार ने विश्व बैंक के फेस टू से हटा दिया है जो कि किसानों-बागवानो के प्रति भाजपा के नकारात्मक रवैये को दिखाता हैं। आज जिला शिमला की कोई भी सड़क इस योजना में नही हैं जो कि भाजपा की क्षेत्रवाद की राजनीति को दर्शाता हैं। आपको बता दें कि छैला-नेरी पुल सड़क के माध्यम से ऊपरी शिमला का लगभग 60% सेब मंडियों में पहुंचता है।
उन्होंने कहा कि ऊपरी शिमला की सड़कों की स्थिति बदतर बनी हुई हैं यहां तक कि सामरिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण NH-05 ठियोग के समीप रहीघाट में पिछले एक वर्ष से डंगे का कार्य रुका पड़ा हैं जिसके कारण सेब सीज़न के दौरान कई घंटो तक जाम लगा रहता हैं, उन्होंने इस ड़गे को युद्धस्तर पर लगवाने की मांग की हैं। लोक निर्माण विभाग के निर्माण कार्यो में घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग कर गुणवत्ता की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, जिसका जीता-जागता उदाहरण रोहड़ू उपमण्डल के अंतर्गत ₹15.81 करोड़ की लागत से बनने वाला रोहड़ू मंडल का क्षतिग्रस्त बखीरना पुल हैं।