भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला कमेटी ने कहा कि वित्त मंत्री के द्वारा पेश किए गए इस दशक के पहले बजट में देशवासियों को आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, महंगाई, कृषि संकट आदि से निपटने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए गए हैं। सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटकर सेवाओं के विकास में निजीकरण की नीतियों को इस बजट के माध्यम से आगे बढ़ा रही है। सरकार ने इस बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि क्षेत्रों में पीपीपी मोड को बढ़ावा देकर देश मे निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे ये मूलभूत आवश्यकताए महंगी होगी और आम जनता की पहुंच से दूर होंगी। शिक्षा के लिए जी डी पी का केवल 1.5 प्रतिशत का ही प्रावधान किया गया है, जोकि नाकाफी है। जिस प्रकार से जिला अस्पतालों को निजी मेडिकल कालेजो के साथ जोड़ने की बात बजट में की गई है उससे स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा महंगी होगी और अस्पताल निजी हाथों में जाने से जनता को महंगा इलाज उपलब्ध होगा।
बजट में कॉरपोरेट टैक्स को घटा कर नए उद्यमियों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया है और पूर्व वर्ष में भी इसे घटा कर 22 प्रतिशत किया गया था परंतु फिर भी आर्थिक मंदी रोकने में कोई भी मदद नहीं मिली थी। इससे सरकार के राजस्व आय में कमी होगी। आज सरकार कुल राजस्व प्राप्तियों का सबसे बड़ा हिस्सा लोन व देनदारियों से प्राप्त कर रही है। जिसके चलते सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आई डी बी आई व जीवन बीमा निगम(LIC) के बड़े हिस्सेदारी को सरकार ने बेचने की बात की है। इससे स्पष्ट है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र को बेचकर अपना खर्च चलाने व देश की संपत्तियों को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने का कार्य कर रही है।
कृषि संकट से निपटने के लिए न तो कृषि बजट में मांग अनुरूप वृद्धि की है और इसमे भी किसानों को सरकार द्वारा दी जा रही मदद को समाप्त कर निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया है। क्योंकि ये नए वेयरहाउस व स्टोर बनाने को बात की गई है वह सभी पी पी पी मोड पर बनाये जाएंगे। इससे कॉरपोरेट खेती को बढ़ावा मिलेगा। बजट में परिवहन व रेलवे के क्षेत्र में निजीकरण करने की घोषणा की गई हैं। यह 150 निजी रेल व किसानों के दूध, मांस व मछली को ले जाने के लिए भी निजी क्षेत्र रेलगाड़ी चलाएगा।
बजट में प्रदेश को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। इसमें प्रदेश में किसी भी नई विकास की नई योजना का ज़िक्र किया गया है। न तो रेलवे के विस्तार का कोई उल्लेख है और न ही कृषि व बागवानों के लिए कोई योजना है। प्रदेश का मजदूर, किसान, बागवान, कर्मचारी, युवा, महिला जो इस बजट से जो आशा लगाए हुए थे उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। सीपीएम का मानना है कि यह बजट बीजेपी की सरकार की निजीकरण, उदारीकरण व वैश्वीकरण की नवउदारवादी नीतियो को पोषित करने वाला बजट है इससे बेरोजगारी, कृषि संकट, महंगाई और अधिक बढ़ेगी आदि आम जनता की समस्याओं में वृद्धि ही होगी और आर्थिक मंदी और गहरी होगी।