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वैश्विक मंदी के बावजूद हिमाचल का कर राजस्व संग्रह बढ़ा: CM

पी. चंद, शिमला |

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वैश्विक मंदी होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार का 30 नवम्बर, 2019 तक कुल कर राजस्व संग्रह 17.2 प्रतिशत तक बढ़ा है। नवम्बर, 2018 तक 2727 करोड़ रुपये के मुकाबले नवम्बर, 2019 को 3198 करोड़ रुपये का कर संग्रहण किया गया है, जिसमें 471 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि शिमला और बद्दी राजस्व ज़िलों ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए क्रमशः 85 करोड़ रुपये और 111 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की है। 30 नवम्बर, 2019 तक उत्पाद शुल्क में पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसी अवधि में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 30 नवम्बर तक 956 करोड़ रुपये के मुकाबले इस वर्ष 1060 करोड़ रुपये का संग्रह रहा जो 104 करोड़ रुपये अधिक है।  

मुख्यमंत्री ने कहा कि 30 नवम्बर, 2019 तक जीएसटी राजस्व में पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसी अवधि में 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 30 नवम्बर, 2018 के 1859.07 करोड़ रुपये के संग्रह के मुकाबले इस वर्ष 2315.63 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्रित हुआ। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में राजस्व और कर में वृद्धि के लिए कई प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में कर राजस्व संग्रहण की नियमित रूप से समीक्षा कर रही है और इसे गति प्रदान करने के लिए कारगर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटीआर-3बी के अंतर्गत आॅनलाइन जीएसटी उपभोक्ताओं के पंजीकरण को 95 प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नवम्बर माह के परिणाम भी उत्साहजनक रहे हैं, जिसमें कुल राजस्व संग्रह में 40 प्रतिशत, जीएसटी में 33 प्रतिशत और उत्पाद शुल्क में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी के ‘डेस्टिनेशन प्रिंसिपल’ को गैर-प्रवर्तन रूप में लागू करने से प्रदेश के राजस्व का नुकसान हो रहा है और इस मामले को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष उठाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने केन्द्र शासित चंडीगढ़ के प्रशासक के साथ उनके करों और शराब पर लगने वाले कर को तर्कसंगत बनाने का मामला उठाया है ताकि हिमाचल प्रदेश के लिए यह हानिकारक सिद्ध न हो।

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यटन, निर्माण और जल-विद्युत परियोजनाओं आदि में जीएसटी के प्रभावी प्रवर्तन को सुनिश्चित कर रही है। इसके अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, टोल और अन्य ठेकेदारों से बकाया वसूलने तथा उसे सरकारी खजाने में जोड़ने के प्रयास कर रही है।