प्रदेश के स्कूलों में सेवाएं दे रहे हज़ारों पीटीए शिक्षकों को नियमितीकरण के लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का इंतजार करना पड़ेगा। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पीटीए शिक्षकों को रेगुलर करने के लिए सरकार तैयार है, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में चला हुआ है। इस कारण रेगुलर करने से पहले हमे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का इंतजार रहेगा। माकपा विधायक राकेश सिंघा, कांग्रेस विधायक आशा कुमारी और विक्रमादित्य सिंह द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने यह जानकारी सदन को दी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पीटीए शिक्षकों का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। जिसमें तीन केस लंबित हैं। शिक्षा मुंत्री ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से आदेश नहीं आता तब तक पीटीए शिक्षकों को रेगुलर करने का कोई प्रावधान नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पीटीए शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2006 में हुई थी। उस समय न तो ऐसा कोई प्रावधान रखा था कि उनके लिए अनुबंध या रेगुलर करने की नीति हो। बिना सोचे समझे पूर्व में ऐसी नियुक्तियां की गई। बावजूद इसके अभी तक प्रदेश के पांच हजार पीटीए शिक्षकों अनुबंध आधार पर आए हैं, जबकि 1300 के करीब अभी लेफ्ट आउट हैं जो ग्रांट इन एड पर चल रहे हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह चिंता का विषय है। इसे देखते हुए प्रदेश की जयराम सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए उन्हें रेगुलर शिक्षकों के बराबर वेतन देने की घोषणा की है। इसके अलावा जहां तक प्राथमिक सहायक शिक्षकों का सवाल है इनके लिए 1986 में नीति बनी थी। अभी फिलहाल रेगुलर करने का कोई प्रावधान नहीं हैं। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वर्तमान में 3400 पीएटी शिक्षक हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं।
123 स्कूलों को चाहिए प्रधानाचार्य
प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में 123 प्रधानाचार्यों के पद खाली चल रहे हैं। इन पदों को भरने के लिए प्रदेश सरकार जल्द ही प्रक्रिया शुरू करेगी। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इन पदों को पदोन्नति आधार पर भरे जाएंगे। इसके लिए प्रोसेस थोडो लंबा रहेगा। एसीआर, विजिलेंस क्लीयरेंस सहित सभी औपचारिकताएं पूरी होते ही 123 प्रधानाचार्यों के खाली पदों को भर दिए जाएंगे। शिमला जिला में 40, सिरमौर में 29, बिलासपुर 19,मंडी 10, लाहौल-स्पीति आठ, कुल्लू नौ, किन्नौर जिला में सात पद प्रधानाचार्यों के खाली हैं।