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‘भाजपा सरकारों में खत्म हो गई है मानवीय संवेदना’

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पूर्व सांसद सुरेश चंदेल ने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों में मानवीय संवेदना खत्म हो गई है। संवेदना होती तो आज लोगों को इस तरह से महंगाई के दानव से नहीं लड़ना पड़ता। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हो रहे उपचुनाव दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह चुनाव अगले साल होने जा रहे प्रदेश विधानसभा चुनावों की दशा और दिशा का तय करेंगे। सरकार इन चुनावों को लेकर छटपटाहट में है और लंबे चौड़े वायदे किए जा रहे हैं। बड़ी बड़ी बातें की जा रही हैं। डबल इंजन की सरकार बताई जा रही है मगर धरातल पर देखा जाए तो चार साल का कार्यकाल सबसे ज्यादा निराशाजनक इस सरकार का रहा है। रोज फैसले बदले जा रहे हैं। यहां तक कि केबिनेट में लिए गए निर्णय भी अगले दिन बदल दिए जाते हैं। कभी कभी तो ऐसा लगता है कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है।

केंद्र सरकार भी मदद के नाम पर प्रदेश को कर्जा ही दे रही है और कर्जे का प्रयोग विकास कार्यों या संसाधनों को बढ़ाने की बजाय अपने खर्चे पूरे करने के लिए किया जा रहा है। हर स्तर पर लोगों की जेब पर डाका डाला जा रहा है, महंगे तेल पर टैक्स, गाड़ी खरीदने पर टैक्स, रोड़ पर चलने का टैक्स, आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। अब तो टमाटर भी सौ रूपए किलो की तरफ छलांग लगाता नजर आ रहा है, सीमेंट महंगा, सरिया महंगा, सब कुछ इस तरह से महंगा हो रहा है और लगता है कि सरकार में मानवीय संवेदना जैसी कोई चीज बची ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि आज देश की संपत्तियां औने पौने दामों में बेची जा रही है। पहले उन्हें घाटे में दिखाया जा रहा है और अपने चहेतों को बेचा जा रहा है। हर साल सरकार विनिवेश के बजट को बढ़ाती जा रही है। हर साल 2 करोड़ युवाओं को नौकरियां देने का वायदा सरकार ने किया था मगर मोदी सरकार अब तक केवल 38 हजार लोगों को ही रोजगार दे सकी है। प्रदेश सरकार नौकरियां का पिटारा खोलने की सुर्खियां अखबारों में देती है मगर यह नौकरियां गिनी चुनी ही होती हैं और उसमें भी अब बाहरी लोगों को नौकरियां दी जा रही है। जिले के एक वरिष्ठ मंत्री तो धर्मपुर के लोगों को दूसरे क्षेत्रों में आउटसोर्स पर रख रहे हैं जैसे दूसरे क्षेत्रों के बेरोजगारों को रोजगार का अधिकार ही नहीं है।

प्रतिभा को लेकर जवाहर की टिप्पणी पर दी नसीहत

द्रंग के विधायक जवाहर ठाकुर ने जो कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा सिंह पर यह टिप्पणी की थी कि हमारे पहाड़ में पति के निधन के बाद एक साल तक औरत घर से नहीं निकलती पर सुरेश चंदेल ने उन्हें नसीहत दी कि वह अपनी परंपराएं अपने पास रखें, पूरे प्रदेश का ठेका लेने की कोशिश न करें, एक महिला ने हिम्मत दिखा कर लोगों के बीच आकर चुनाव लड़ने की हामी भरी है इसकी प्रशंसा होनी चाहिए, दाद दी जानी चाहिए मगर एक महिला के लिए इस तरह की टिप्पणी विधायक की घटिया मानसिकता को ही दिखाती है।

सुरेश चंदेल ने कहा कि इस उपचुनाव में केंद्र और प्रदेश की बेपरवाह सरकार को जवाब देने का मौका आ गया है। लोग तैयार बैठे हैं और 30 नवंबर को ईवीएम के जरिए कांग्रेस के पक्ष में तथा भाजपा के विरोध में वोट देकर यह जवाब देंगे।