जज बीएच लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की रफ्तार तेज़ कर दी है। कांग्रेस अन्य 6 दलों के समर्थन के साथ मिलकर महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सौंपा है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में नेताओं ने महाभियोग का नोटिस सौंपा है। कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, माकपा, भाकपा, एनसीपी, बीएसपी और मुस्लिम लीग इस प्रस्ताव में शामिल हैं।
शुक्रवार को राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के कमरे में इसम मामले पर बैठक हुई। बैठक में कांग्रेस के साथ आए दलों के नेताओं ने भाग लिया। चर्चा के बाद चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का नोटिस देने का फैसला लिया गया। इस पर 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
महाभियोग के 5 कारण
कांग्रेस ने महाभियोग के लिए 5 आधार पेश किए हैं। इनमें,
- प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले में उठाया लाभ
- मुख्य न्यायाधीश के पद के अनुरूप आचरण नहीं
- प्रसाद एजुकेशन विवाद में न्यायिक-प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं अपनाया।
- फर्जी हलफनामा के सहारे जमीन हासिल किया।
- संवदेनशील मामलों को चुनिंदा बेंच को दिया।
महाभियोग को राजनीतिक हथियार बना रही है कांग्रेस: जेटली
वहीं, सरकार ने विपक्ष द्वारा महाभियोग के फैसले की कड़ी आलोचना की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए मामले में कांग्रेस की खिंचाई की है। उन्होंने कहा कि विपक्ष महाभियोग को राजनीतिक हथियार बना रहा है। उन्होंने आरोप लगाए कि कांग्रेस इसके जरिए जजों को डराना चाहती है।
महाभियोग पर कांग्रेस में ही उठे विरोध के स्वर
महाभयोग पर भले ही कांग्रेस को सहयोगी दलों का समर्थन मिल गया है। लेकिन, ख़बर है कि कांग्रेस के भीतर भी इसके विरोध में सुगबुगाहट देखने को मिल रही है। कांग्रेस की ही वरिष्ठ नेता और मनमोहन सरकार में कानून मंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने महाभियोग की प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया है। खुर्शीद ने कहा है कि चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाना बेहद की गंभीर मामला है। मैं कांग्रेस के इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हूं। उन्होंने कहा कि कोर्ट के पक्ष से हर कोई सहमत नहीं हो सकता। यहां तक की जजों में भी फैसले को लेकर असहमति रहती है। इसके अलावा विरप्पा मोइली और पी.चिदंबम भी महाभियोग के पक्ष में नहीं बताए जा रहे हैं।
खुर्शीद के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के भी हस्ताक्षर नहीं हैं। वहीं, इस मामले पर कपिल सिब्बल ने सफाई दी है, उन्होंने बताया है कि चूंकि मनमोहन सिंह पूर्व प्रधानमंत्री हैं, इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।