विकास रैली से कांग्रेस के सीएम पद पर वीरभद्र सिंह के नाम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन इसी बीच अब हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में नई राजनीति पनपती नज़र आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल की इस घोषणा के बाद दूसरी लाइन में खड़े कांग्रेस के सीनियर नेता रुष्ठ हो गए हैं। क्योंकि, इससे पहले शिंदे के दौरे पर कांग्रेस के कुछ नेताओं में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को लेकर अच्छा-खासा आक्रोश दिखा।
खबर तो यह भी हैं कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व और सीएम की सीट मिलने के बाद कांग्रेस के ही कुछ नेता बीजेपी से लगातार संपर्क साधे हुए हैं। बताया जा रहा है कांग्रेस के यह छह नेता पार्टी से नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व और सीएम पद से परेशान हैं। वहीं, दूसरी और संगठन-सरकार की तकरारें भी इन नेताओं के छवि को हानि पहुंचा रही है, जिसके चलते चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस में बड़े बगावत के आसार पर नज़र आ रहे हैं।
इस फॉर्मूले पर हुई वीरभद्र की सहमति!
मिली सूचना के मुताबिक, करीब 18 दिन पहले जो हाईकमान के साथ बैठक प्रदेश के नेताओं की हुई थी, उसमें वीरभद्र सिंह और सुक्खू के साथ कई बड़े नेता जैसे बाली, कौल सिंह आदि भी उपस्थित रहे। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष नहीं बदले जाने को लेकर जब हाईकमान ने मना कर दिया, उसके बाद वीरभद्र सिंह के नाम की बतौर मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा का फैसला भी लिया गया। उसके बाद ही राहुल गांधी का दौरा रखा गया और वीरभद्र के नाम की घोषणा भी की गई।
इन सब के बावजूद अब देखना ये होगा कि चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस में सियासी फेरबदल होने वाला है। एक तरफ हाईकमान वीरभद्र के नाम पर हिमाचल में मास्टर स्ट्रोक खेलने वाली है, तो वहीं कांग्रेस के कुछ नेता इस मास्टर स्ट्रोक पर पार्टी के अड़चने बढ़ा सकते हैं।