दोपहर बाद शुरू हुई सदन की कार्यवाही में नियम 130 के तहत अनिरुद्ध सिंह , विक्रमादित्य सिंह और मुकेश अग्निहोत्री ने शिमला शहर की पेयजल समस्या पर प्रस्ताव में कहा कि शिमला में पहली बार 12 दिनों तक लोगों को पानी नहीं मिला, कनलोग के लोगों को सीवरेज वाला पानी सप्लाई किया गया, हाइकोर्ट के सीजे को पानी प्रबंध देखने के लिए वार्डो में उतरना पड़ा, देश विदेश में शिमला का नाम खराब हुआ। लेकिन शिमला की मेयर पानी की व्यवस्था देखने के बजाए चीन भाग गई।
शिमला ग्रामीण की पंचायतों का पानी छीनकर शिमला शहर को पिलाया जा रहा है। शिमला में सरकार के पास कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के ऊपर तो पानी की बौछारों के लिए पानी है लेकिन शहर को पिलाने के लिए नहीं। आशा कुमारी ने पानी की समस्या पर कहा कि उनका इस पर बोलने का विचार नहीं था लेकिन राकेश जम्वाल और राकेश पठानिया के बोलने के बाद वह कह रही है कि शिमला में पानी की समस्या पहले से ही रही है। कोलडैम के पानी की स्कीम कांग्रेस की देन है न कि बीजेपी की। पानी की वजह शिमला की दुनिया भर में बदनामी हुई। आज भी पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। ऐसे कौन से ऑफिसर थे जिन्होंने शिमला में न आने की एडवाइजरी क्यों जारी की? बीजेपी के एक विधायक का अवैध कनेक्शन काटने डीसी को क्यों जाना पड़ा?
इस पर कॉमरेड राकेश सिंघा ने सवाल उठाया कि शिमला में पर्याप्त व साफ पानी मुहैया करवाना सरकार का दायित्व है। जो 20 एमएलडी स्कीम पानी शिमला के लिए आना था जो कभी नही आया सिर्फ 10 एमएलडी पानी ही शिमला पहुंच पाया। क्योंकि योजनाओं के शुरू होते ही घटिया पाइप फट गई। जो परियोजना 45 करोड़ की थी उसकी रिपेयर पर ही 40 करोड़ खर्च हो गया। ठेकेदारों को खूब फ़ायदा पहुंचाया गया। अब जाकर इस योजना को 4 करोड़ में दरुस्त कर दिया गया। जांच कौन करेगा ये सवाल है। अश्वनी खड्ड का पानी पीने योग्य नही है फिर राजधानी में यदि पीने का स्वच्छ उपलब्ध नही करवा पा रहे है ऐसी आज़ादी को लालत है।
उधर बीजेपी के राकेश जम्वाल, जेआर कटवाल और राकेश पठानिया ने चर्चा में भाग लेते हुए सरकार का बचाब करते हुए बताया कि पानी के स्रोत सुख गए जिसकी वजह से ये किल्लत हुई। ये समस्या पांच माह की सरकार की देन नही है बल्कि पिछली सरकार भी इसके लिए दोषी है। पिछली सरकार की आईपीएच मंत्री व मुख्यमंत्री के बीच चांसल व कोलडैम के पानी पर सहमति नही बन पाई। शिमला में पानी की समस्या के वक़्त मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने चावा से पानी की योजना के लिए 80 करोड़ मंजूर कर दिए है। इसके अलावा भी कोल डैम का पानी शिमला आएगा।
विधायक बलवीर वर्मा ने पानी के कनेक्शन को लेकर सफाई दी और कहा वह कनेक्शन उनका नहीं है न ही उस कनेक्शन से उनका कोई लेना देना है।
शिक्षा मंत्री एवं शिमला के विधायक सुरेश भारद्वाज ने पानी की समस्या पर कहा कि जब शिमला को अंग्रेज़ों ने राजधानी बनाया उस समय भी शिमला में पानी नहीं था इसलिए गुम्मा से पानी उठाया गया। अब जो योजनाएं शिमला के लिए है उनकी क्षमता 54 एमएलडी है लेकिन आज तक 45 एमएलडी से ज्यादा पानी शिमला को कभी नहीं मिला। पिछले साल बरसात एवम बर्फ नही पड़ने से पानी कम हुआ। उसके बाद शिमला में पानी की समस्या उतपन्न हुई।
जबाव में आईपीएच मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने शिमला में पानी की किल्लत पर कहा कि पानी की पाइप में यदि कहीं गलत हुआ है तो उसके ऊपर संज्ञान लिया जाएगा। किसी भी अधिकारी ने पानी की समस्या को लेकर किसी तरह की एडवाइजरी जारी नहीं की थी। सूखे की वजह से शिमला में पानी की समस्या उतपन्न हुई। शिमला शहर को गुम्मा व गिरी से पानी आता है। जबकि अश्विनी खड्ड के पानी को शिमला में पीलिया फैलने के बाद से बन्द कर दिया है।
सरकार ने किल्लत के दौरान हाई पावर कमेटी गठित की गई और पानी की समस्या से निबटा गया। महेन्द्र ठाकुर ने बताया कि सरकार चावा से 80 करोड़ की लागत से पानी उठाकर गुम्मा डालेंगे अगली गर्मी से पहले। दूसरा विश्व बैंक की परियोजना जो कांग्रेस ने लटका कर रखी उस कोलडैम से पानी उठाने के लिए पहली किस्त दिसंबर से पहले आ जायेगी। जिससे टाइम बांड शिमला को पानी मिलेगा। सदन की कार्यवाही कल 11 बजे तक स्थगित।