प्रदेश में कोरोना बंदिशों के साथ-साथ बीजेपी के कार्यक्रमों में जुट रही भीड़ पर पूर्व मंत्री ने सवाल उठाए। जीएस बाली ने कहा कि एक ओर हिमाचल के ही लोगों को बॉर्डर पर RTPCR कंप्लसरी कर दी गई है तो दूसरी ओर प्रदेश के अंदर भाजपा कार्यक्रमों में भीड़ जुट रही है। 5 दिनों से ये सिलसिला प्रदेश भर में जारी है औऱ बिना कोरोना प्रोटोकॉल के खुद सरकार के नुमाइंदे प्रदेश में सफ़र कर रहे हैं। बॉर्डर पर सरकार को कोरोना करियर दिख रहा है लेकिन कार्यक्रमों में जुट रही भीड़ में ख़तरा नज़र नहीं आ रहा।
ये खुशी की बात है कि किसी नेता को भारत सरकार में प्रतिनिधित्व मिला हैं लेकिन व्यक्तिगत अहम संतुष्टि और दिखावे के लिए कोरोना खतरे के बीच लोगों को साथ लेकर घूमना व तीसरी लहर के खतरे के बीच यह जलसे करना कहां तक सही है। यह सेलिब्रेशन सही वक्त और सही परिस्थितियों में भी तो किया जा सकता था।। देश की राजधानी दिल्ली में जहां कोरोना के केस दहाई के अंक में आ रहे है वहां हिमाचल में रोज सैंकड़ो केस सामने आ रहे हैं। लाशों के ढेर और बिना इलाज मारे गए लोगों को गुजरे कोई लंबा वक्त नहीं गुजरा है। ये सिर्फ 3 महीने पहले की ही बात है। कांगड़ा समेत पूरे हिमाचल में लोगों ने अकाल मौत में अपनों को खोया, किसी का सुहाग उजड़ा, किसी बहन ने भाई खोया कई बच्चे अनाथ हुए। और यह सब भूलकर सरकार और उसका पूरा तंत्र खुद वैसी ही तबाही को आमंत्रण देने सड़कों पर उतर आया।
क्या उदाहरण जनता के चुने प्रतिनिधि और नेता सेट कर रहे हैं। किस मुंह से अब पुलिस बिना मास्क आम आदमी का चालान काटेगी। किस मुंह से अपने ही लोगों को बॉर्डर पर रिपोर्ट लाने के लिए कहा जा रहा है ? हैरानी की बात है कि सरकार के ऊपर जो भी जिम्मेदारी होती है उसे पूरा करने में सरकार फेल हुई है। हजारों लोग कोरोना से मरे, उनके डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना से मौत नहीं लिखा जा रहा है। विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री खुद जवाब देते है कोरोना वॉरियर सिर्फ जुमला है और कोई भी फ्रंटलाइन वर्कर असलीयल रूप से कोरोना वॉरियर नहीं है।
मुख्यमंत्री को बिना मास्क लगाए अपने ही नेता नहीं दिखते। पार्टी कैडर के नाम पर जगह-जगह खड़ी की गई भीड़ नहीं दिखती। दिखते है तो सिर्फ आम जनता के आयोजन, उनके कार्यक्रम और कोरोना के लिए भी उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। सारी सख्ती, सारा अनुशासन और सारे जुर्माने सिर्फ प्रदेश की जनता के लिए हैं। भाजपा कैडर सरकार की शह पर जो मर्जी करे , वो कोरोना लहर को आमंत्रण नहीं है। चुनाव आएंगे तब शक्ति प्रदर्शन करना कम से कम आज इन हालात में तो सब्र रखते, लोगो द्वारा अपनों को खोने का जख्म अभी हरा है।
हजारों परिवार इस त्रासदी से उबर नहीं पाये हैं। आपका क्या है? आप तो ऑन रिकॉर्ड भी नहीं मान रहे कि कोरोना से किसी की मृत्यु हुई है। मुफ्त राशन वैक्सीन का ढिंढोरा पीटने के लिए इन्हीं जलसों से कोरोना को फिर फैला देना जरूरी नहीं। सरकार कुछ तो सरकार होने का लिहाज रखे। हिमाचल प्रदेश को एक डिस्प्लीन्ड सोसइटी माना जाता है । साक्षर लोगों के आंकड़ों में हम अव्वल पायदान पर है। हम राज्य के रूप में क्या उदाहरण सामने रख रहे हैं। कल को भगवान न करे कुछ गलत हो जाता है कौन जिम्मेदार होगा ? क्या सरकारों की जिम्मेदारी मुफ्त राशन टेम्पररी हॉस्पिटपल बनाने तक सीमित है ?