हिमाचल प्रदेश में जय राम ठाकुर सरकार अपने 9 माह के कार्यकाल में लोगों के दिलों में जगह नहीं बना पाई है। सरकार की सबसे ज्यादा फ़ज़ीहत शिमला का नाम बदलने को लेकर हो रही है। नाम बदलने की कवायद के बीच सोशल मीडिया में सरकार को लोगों ने जमकर कोसा। मंत्रियो के लिए महंगी गाड़ियों की ख़रीद, निगमों-बोर्डो में अध्यक्षों और उपाध्यक्षों की नियुक्तियां भी जनता को रास नहीं आ रही है। ऐसे फैसलों ने सरकार की लोकप्रियता पर कहीं न कहीं जरूर अस़र डाला है।
वहीं, कानून व्यवस्था की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ी है, 50 से ज्यादा मर्डर, रेप, छेड़खानी, चोरी और अन्य बढ़ते आपराधिक मामले भी सरकार की कमज़ोरी बयां कर रहे है। शुरुआत में लोग सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री को शरीफ़ बताकर जरूर तारीफ़ करते थे लेकिन अब लोग तारीफ़ करना भी भूल गए है। विपक्ष के नेता तो पहले ही कह चुके हैं कि इस सरकार की लोकप्रियता बन ही नहीं पाई और 9 माह में ही इसका ग्राफ़ नीचे आ गया। अधिकतर लोग सरकार से खुश नहीं है। आरडी शर्मा और आईडी बाली जैसे प्रबुद्ध लोग भी ये कहते है कि सरकार से जो उम्मीद पहले वर्ष में की जाती है उन उम्मीदों पर सरकार अभी तक खरा नहीं उतर पाई है।
जनमंच कार्यक्रम में सरकार की चढ़ाई
सरकार का एक कार्यक्रम जरूर जनता को रास आ रहा है। जनमंच कार्यक्रम को कुछ लोग जरूर सराहा रहे हैं। अजय ठाकुर का कहना है कि जनमंच में दो तीन मंत्री बहुत अच्छा काम कर रहे है। यहां तक कि अधिकारियों की जमकर क्लास भी लगा रहे हैं। इससे लोगों के काम भी हो रहे है। बाक़ी सरकार की परफॉर्मेंस इतनी अच्छी नहीं है। सबसे बड़ी समस्या यही है कि विपक्ष भी सरकार को प्रभावी ढंग से घेरने में नाकामयाब रहा है।
पानी की समस्या, तबादलों की फ़जीहत
जयराम सरकार के 10 महीने के कार्यकाल में प्रदेश में कई ऐसी सम्सयाएं भी उत्पन्न हुई, जिनमें जयराम सरकार की काफी फ़जीहत हुई है। इसमें मुख्य रूप से पानी की समस्या, तबादलों की सरकार, क़सौली गोलीकांड, दलित नेता की हत्या सहित कई मामले शामिल है।