जनता दल यूनाइटेड में चुनाव चिन्ह को लेकर चल रहे विवाद में शरद यादव को चुनाव आयोग ने झटका दिया है। चुनाव आयोग ने शरद यादव के गुट की मांग को खारिज कर दिया है। इससे पहले JDU के चुनाव चिन्ह के अधिकार को लेकर चुनाव आयोग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुट और शरद यादव गुट की तरफ से दावा पेश किया था। चुनाव आयोग ने JDU चिन्ह का अधिकार नीतीश कुमार के गुट को सौंप दिया है। आयोग ने पार्टी के निशान तीर को नीतीश के पक्ष में दिया।
बिहार में JDU, RJD और कांग्रेस गठबंधन की सरकार टूटने पर शरद यादव नीतीश कुमार से नाराज चल रहे थे। दोनों में तल्खी उस वक्त और ज्यादा बढ़ गई जब नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई। इसी से खफा चल रहे शरद यादव ने नीतीश की खुलकर आलोचना की और चुनाव आयोग में पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर चुनौती दी थी। अब चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद ये साफ हो गया है कि नीतीश कुमार का गुट ही अब असली JDU है और तीर का निशान उन्हीं के पास रहेगा।
दूसरी तरफ इस फैसले को शरद यादव के लिए शिकस्त के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि, इस चिन्ह के जरिए शरद यादव ये साबित करने की कोशिश में थे कि नीतीश कुमार गुट ने बीजेपी के साथ जो गठबंधन किया है वो अनैतिक है। वहीं इस फैसले के आने से नीतीश कुमार की ताकत और बढ़ी है । JDU नेता औैर पार्टी के महासचिव संजय झा ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि पार्टी के पक्ष में चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला दिया है और इस फैसले का गुजरात चुनाव पर बड़ा असर पड़ेगा, उन्होंने कहा कि सच्चाई की जीत हुई है।
आपको बता दें कि शरद गुट ने नीतीश कुमार को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं मानते हुए 2013 में बनी पार्टी कार्यसमिति को ही वैध मान रहा था, जिसमें कुल 1098 सदस्य थे। वहीं चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 10 अप्रैल 2016 को शरद यादव के नेतृत्व में हुई जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहने में असमर्थता जताते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया था। इसी को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया है।