J&K में धारा 370 और आर्टिकल 35-ए हटने के बाद यह पहला मौका है कि जिसमें भाजपा जनता के दरबार मे उतरने जा रही है। बवालों से जूझ रही कश्मीर वैली में यह चुनाव भाजपा की इज्जत का भी सवाल है। ऐसे में हाईकमान का अनुराग ठाकुर को बतौर चुनाव प्रभारी तैनात करने का फैसला कई मायनों में उन पर हाईकमान के भरोसे को दर्शाता है।
J&K के निकाय चुनावों को किसी भी तरीक़े से कमतर नहीं आंका जा सकता। इन चुनावों में केंद्र सरकार को अलगाववादी और उग्रवादी ताकतों संग पाकिस्तान से भी जूझना होगा। जाहिर सी बात है कि फ्रंट फुट यानि बॉर्डर लाइन पर अनुराग ठाकुर देश की राजनीतिक- रणनीतिक भूमिका में वह सबसे आगे होंगे।
कश्मीर के साथ जुड़ी देश की भावनाओं और लगाव की जीत का जिम्मा भाजपा और मोदी-शाह की तरफ से उनके कांधों पर होगा। देश के साथ विदेशों की नजर भी इन चुनावों के नतीजों पर रहेगी। सबसे बड़ी बात यह होगी कि इन नतीजों से यह पता चलेगा कि कश्मीर की रायशुमारी क्या कहती है ऐसे में अनुराग को मिला जिम्मा किसी भी एंगल से कमतर नही आंका जा सकता।