मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांगड़ा के शीतकालीन प्रवास के दूसरे चरण के पहले दिन ज्वालामुखी में करोड़ों के शिलान्यास और उद्घाटन किए। मुख्यमंत्री ने ज्वालामुखी के खुंडियां में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। मुख्यमंत्री ने अग्निहोत्री के धमकी वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता बयान दे रहे हैं कि कि मुख्यमंत्री धमका रहे हैं। लेकिन सच्चाई तो यह है कि जयराम कभी धमकी नहीं देता। जयराम ठाकुर तो प्यार से बोलता है और हकीकत बोलता है।
उन्होंने कहा कि जो लोग हमसे हमारी सरकार का हिसाब पूछ रहे हैं हिसाब बताने में कोई हर्ज नहीं है। लेकिन हम उनसे भी पूछना चाहते हैं कि जब वह सत्ता में आते हैं तो वह क्या कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह वही लोग हैं जो सत्ता का सुख भोगने के लिए आराम फरमाने के लिए सत्ता में आते हैं ना कि जनता का काम करने के लिए सत्ता में आते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वही लोग हैं जो सिर्फ चुनावों से 6 महीने पहले ही जनता के बीच में आकर उनके कामों को करने लगते हैं। और उससे पहले साढ़े 4 साल कहां पर होते हैं यह वहां के कार्यकर्ताओं, नेताओं को और लोगों को भी पता नहीं होता ।
वहीं, जयराम ठाकुर ने दिल्ली के चुनावों में आए नतीजों को लेकर कहा कि दिल्ली में 9 सीटें बीजेपी सिर्फ 150 मतों के अंतर से हारी है जबकि 17 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार 1000 से भी कम अंतर से हारे हैं। लेकिन हमारा वोट शेयर वहां पर 10 फ़ीसदी से ज्यादा बड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में एक मजबूत नेतृत्व देश के लिए काम कर रहा है। हम भी हिमाचल प्रदेश में युवाओं के लिए वृद्ध बुजुर्गों के लिए कई तरह की योजनाएं लाकर सभी को राहत देने का प्रयास लगातार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनमंच हिमाचल प्रदेश में आम जनता के लिए अपने सरकारी कामों को आसानी से करवाने का मंच बन चुका है और जिसमें पार्टी लाइन से हटकर सभी लोगों का काम हम लोग लगातार कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि पिछले 2 सालों में जो हमारा प्रयास जनमत के लिए लेव कर रहा है उसके नतीजों से खुश हैं। लेकिन अभी हम चाहते हैं कि हर घर तक जनमंच की आवाज पहुंचे और लोग अपने कामों के लिए जनमत के माध्यम से आएं। वहीं उन्होंने कहां की राम मंदिर जैसे मुद्दे जो वर्षों से लंबित पड़े हुए थे और जिन को लेकर कांग्रेस लोकसभा चुनावों से पहले राजनीति करती थी अब कांग्रेस के हाथ से निकल चुके हैं। यही कारण है कि अब लोग कांग्रेस पार्टी का नाम भी नहीं सुनना चाहते और अब एक तरह से यह कहा जा सकता है कि यह पार्टी अपने अंतिम दौर में पहुंच चुकी है।