हिमाचल प्रदेश की राजनीति में शुक्रवार का दिन ढेर सारे ट्विस्ट से भरा रहा। दस्तूर तो वैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता जीएस बाली के जन्मदिन का था। लेकिन, इस दौरान उन्हें शुभकामना देने से लेकर राजनीतिक बैठक करने में ऐसी शख्सियतें भी शामिल रहीं, जिनका राजनीतिक झुकाव जीएस बाली से बिल्कुल जुदा रहा है। इन नेताओं का जीएस बाली के साथ आने से प्रदेश कांग्रेस की सियासत में जबरदस्त हलचल है।
शुक्रवार सुबह जीएस बाली अपने जन्मदिन के मौक पर मां चामुंडा के आशीर्वाद के बाद डाढ़ में अपने समर्थक के घर ब्रेकफास्ट पर पहुंचे। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के पूर्व नेता और वीरभद्र के मुख़ालिफ मेजर विजय सिंह मनकोटिया भी मौजूद थे। इनके अलावा धर्मशाला के वे नेता भी ब्रेकफास्ट में शामिल हुए, जिनका 2012 विधानसभा चुनाव में सुधीर शर्मा को धर्मशाला लाकर उन्हें जीताने में अहम योगदान रहा था। इन नेताओं के जीएस बाली के साथ एक टेबल पर आना आगामी राजनीति की नई धमक का संकते दे रहा है। बाली के साथ धर्मशाला के जिन नेताओं ने ब्रेकफास्ट किया उनमें सुरेश कुमार (पप्पी), प्रणब सचदेवा (नोनी), विजेंद्र करण और अरुण बिष्ट सरीखे नेता शामिल हैं।
नीरज भारती ने लाया डबल ट्विस्ट
सबसे बड़ा राजनीतिक ट्विस्ट तो तब आया, जब नगरोटा बगवां में आयोजित बाल मेले में जीएस बाली को जन्मदिन की शुभकामना देने ज्वाली से पूर्व विधायक और दिग्गज कांग्रेसी नेता चंद्र कुमार के बेटे नीरज भारती पहुंचे। इस दौरान नीरज भारती जीएस बाली और उनके बेटे आरएस बाली के साथ जमकर डांस करते हुए भी दिखाई दिए। यहीं नहीं, नीरज भारती ने तो मंच से अपने और बाली परिवार के साथ बिगड़े रिश्तों के लिए कांगड़ा के ही एक नेता को जिम्मेदार बता डाला। मंच से नीरज भारती ने कहा कि उनके परिवार और बाली परिवार में मतभेद डालने का काम कांगड़ा के ही एक नेता ने किया था। लेकिन, अब सारी चालबाजियां वह समझ चुके हैं। ऐसे में पूर्व मंत्री जीएस बाली और पूर्व सांसद चंद्र कुमार का परिवार अब एकजुट है।
भारती ने कहा कि वह जल्द ही उस नेता का नाम उजागर करेंगे जो कांगड़ा के नेताओं को एकजुट नहीं होने दिया। उसी की चालबाजियों से कांगड़ा में कांग्रेस कमज़ोर रही।
वीरभद्र का ख़ास है फूट डालने वाला कांग्रेसी नेता
नीरज भारती ने समाचार फर्स्ट को दिए एक्सक्लूज़िव इंटरव्यू में कहा कि पार्टी में गुटबाजी एक गंभीर मसला है। कांगड़ा के नेताओं को एकजुट नहीं होने दिया गया। लेकिन, वह पूर्व सीएम वीरभद्र की आज भी इज्जत करते हैं। उन्होंने पार्टी और प्रदेश के लिए काफी कुछ किया। लेकिन, जो नेता अक्सर हमारे बीच फूट डालने का काम करता है वह वीरभद्र सिंह का बेहद क़रीबी भी है।
नई जुगलबंदी से नया सियासी समीकरण !
कांगड़ा के इन नेताओं का एक प्लेटफॉर्म पर आना नए सियासत को जन्म देने वाला है। माना जा रहा है कि हिमाचल की राजनीति में अब नया दौर शुरू हो सकता है। क्योंकि, कांगड़ा जिले में कांग्रेस के कई धाकड़ नेता मौजूद हैं। इनमें पहले से ही आपसी मनमुटाव कई सारे चुनाव को प्रभावित करते रहे हैं। आरोप तो यह भी लगते रहे हैं कि कांगड़ा में फूट डालने में वीरभद्र सिंह के गुट का बड़ा हाथ रहा है। दरअसल, जीएस बाली कांगड़ा के साथ-साथ समूचे हिमाचल के एक ताक़तवर नेता माने जाते हैं और वह हमेशा वीरभद्र सिंह के समकक्ष राजनीति में खड़े मिलते हैं। ऐसे में उनकी बढ़ती ताकत को फूट की राजनीति से ही बैलेंस पॉलिटिक्स का खेल खेला जाता था। कांगड़ा की जनता इससे पहले भी कांग्रेस के एक राजनेता के आरोपों का गवाह रही है, जिसमें उन्होंने मंच से ही वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में वीरभद्र सिंह पर नेताओं को आपस में लड़ाने के आरोप लगाए थे।
गौरतलब है कि मनकोटिया भी वीरभद्र सिंह के धुर आलोचक हैं। उन्होंने ही वीरभद्र सिंह के सीडी कांड को उजागर किया था। हाल ही में समाचार फर्स्ट के साथ इंटरव्यू में उन्होंने पूर्व सीएम वीरभद्र पर कई आरोप भी जड़े थे। उनका इशारा कांग्रेस में नई लीडरशिप को लेकर था। ऐसे में जब चंद्र कुमार का खेमा भी बाली के खेमे से तालमेल मिला चुका है, तो क्या कांग्रेस की लीडरशिप ने नया रुख ले लिया है? और कांग्रेस की प्रादेशिक सियासत का गढ़ अब शिमला ना होकर क्या कांगड़ा होने वाला है? ये सवाल शुक्रवार की बदलती पॉलिटिक्स से और ज्वलंत हो उठा है। वैसे भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुक्खू का कुनबा पहले ही वीरभद्र सिंह को खारिज कर चुका है और जीएस बाली के साथ तालमेल बैठा चुका है।
हालांकि, दूसरी तरफ एक खेमा ऐसा भी है जो दिल्ली दरबार में अपनी हाजिरी लगा चुका है। इन नेताओं की जुगलबंदी पार्टी के दूसरे शीर्ष नेताओं से भी है। लेकिन, ये सारी जुगलबंदी वीरभद्र सिंह के खेमे के भीतर ही परवान चढ़ रही है। ऐसे में जिस तरह से जीएस बाली, पीसीसी अध्यक्ष सुक्खू, चंद्र कुमार, राजेश धर्माणी, नीरज भारती, राकेश कालिया, मेजर मनकोटिया और रोहित ठाकुर जब एक मंच पर सियासी बिगुल फूंक रहे हों…वह हिमाचल कांग्रेस में नए वक़्त और नए दौर की स्क्रिप्ट लिखते दिखाई दे रहे हैं।
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