धर्मशाला में यूथ कांग्रेस पर हुए लाठीचार्ज से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या यूथ कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन कमजोर रहा? या यूथ कांग्रेस को बड़े नेताओं का साथ नहीं मिला? ऐसा इसलिए क्यों कि जिस प्रकार शुरुआत में यूथ कांग्रेस अध्यक्ष निगम भंडारी अपने कार्यकर्ताओं के साथ भारी संख्या बल के साथ जमा हुए थे. उसके बाद जैसे जैसे ये काफिला विधानसभा की ओर बढ़ा, विधानसभा पहुंचते पहुंचते ये संख्या बल अचानक कम हो गया.
कांग्रेस के कुछ दिग्गजों ने शुरुआत में यूथ कांग्रेस का साथ दिया और प्रदर्शन में शामिल हुए, लेकिन कुछ देर बाद का नजारा ऐसा था कि यूथ कांग्रेस अलग-थलग पड़ती दिखाई दी. यूथ कांग्रेस को जितनी उम्मीद थी शायद बड़े नेताओं का उतना साथ नहीं मिल पाया. नतीजा ये रहा कि प्रदर्शन कमजोर पड़ता देख पुलिस ने लाठियां बरसा दीं. इस लाठीचार्ज में निगम भंडारी समेत कई कार्यकर्ता निशाने पर आए. लाठीचार्ज के बाद कार्यकर्ता तितर बितर होते दिखे.
मानो कि आंदलोन के वक्त सभी को विरोध जताने और इकट्ठा होने के निर्देश थे, लेकिन ऐन वक्त पर यूथ कांग्रेस के साथ जो हुआ वो वाकई सियासत के लिहाज से सोचने वाली बात है. क्यों कि जिस तरह सदन के अंदर विपक्ष अपने मुद्दे पुरजोर तरीके से उठा रहा है उससे भी आक्रामक विरोध यूथ कांग्रेस ने सदन के बाहर किया. हालांकि विपक्ष के नेता अगर यूथ कांग्रेस का सदन के बाहर भी पूरा साथ देते तो शायद ये प्रदर्शन इतना कमजोर होता ना दिखता और सरकार के खिलाफ जनहित के मुद्दे पुरजोर तरीके से उठते.
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