पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस नेता कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग में हुई खरीद और मास्क एवं सेनेटाइजर घोटाले की प्रदेश हाईकोर्ट की देखरेख में सीबीआई से जांच करवाई जाए। कौल सिंह रविवार को मंडी में अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस मौके पर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री प्रकाश चौधरी औऱ पूर्व सीपीएस एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सोहन लाल ठाकुर भी मौजूद थे। कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि जिस तरह से भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल ने इस घोटाले में कोई सपष्ट संलिप्तता न होने के बावजूद भी नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दिया है, उसी तरह से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के पास स्वास्थ्य विभाग भी है और घोटाले के चलते नैतिकता का तकाजा यही है कि मुख्यमंत्री अपना पद छोड़ दें और निष्पक्ष जांच होने दें। उन्होंने कहा कि लोगों के सहयोग से हिमाचल प्रदेश में कोरोना महामारी पर काबू पा लिया गया था। मगर सरकार की लापरवाही और विफलता की वजह से प्रदेश में कोरोना पाजिटिव मामलों में बढ़ौतरी हुई है। उन्होंने कहा कि बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों का प्रदेश की सीमा पर ठीक ढंग से चैकअप नहीं किया गया। इसके बाद वहीं पर ऐसे लोगों को क्वारंटाइन किया जाना चाहिए था।
कौल सिंह ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश में सरकार के संरक्षण में भ्रष्टाचार पनप रहा है और पैसा कमाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सैनेटाइजर की बाजार में कीमत पचास रूपए है जबकि इसकी खरीद डेढ सौ रूपए में की गई है। सैनेटाइजर की खरीद में लाखों का घोटाला हुआ है। जिसके लिए एक अधीक्षक को निलंबित कर मामले की जांच नहीं करवाई गई। इसके अलावा भारत सरकार ने थ्री लेयर मास्क की कीमत दस रूपए और टू लियर मास्क की कीमत आठ रूपए निर्धारित की गई है। मगर प्रदेश में इसकी खरीद पंद्रह रूपए प्रति मास्क की गई है। इसके अलावा पीपीई किट का घोटाला सामने आया है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर में पीपीई किट की जगह रेनकोट दे दिए गए। कौल सिंह ने आरोप लगाया कि पीपीई किट के समय पर टैंडर नहीं करवाए गए। जिसकी वजह से डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को समय पर पीपीई किट मुहैया नहीं करवाई जा सकी।
कौल सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा कि 45 लाख की पेमेंट केलिए पांच लाख रूपए की रिश्वत मांगी गई थी। हालांकि, कोर्ट में सरकार ने कहा कि फिल्हाल पूर्व स्वास्थ्य निदेशक के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। जिसकी वजह से उनको जमानत मिल गई। उन्होंने कहा कि पोर्टेबल वैेंटिलेटर की खरीद के लिए स्वास्थ्य निदेशक ने सभी सीएमओ को चि_ी लिखी थी। वहीं पर मुख्यमंत्री ने कह दिया कि पोर्टेबल वैंटिलेटर तो डम्मी है। कौल सिंह ने कहा कि पोर्टेबल वैंटिलेटर की खरीद भुवनेश्वर एम्स ने की है। जबकि आईजीएमसी में भी चार पोर्टेबल वैंटिलेटर खरीदे गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री को अधिकारी सही जानकारी न देकर गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में रिटायरमेंट पर बैठे अधिकारी घोटालों में संलिप्त हो रहे हैं। कौल सिंह ने कहा कि दवाओं की खरीद में भी घोटाला हुआ है।
उन्होंने कहा कि सीएमओ मंडी के खिलाफ आडिट रिपोर्ट बनी है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हैं, एनजीओ ने भी लिखित तौर पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।कौल सिंह ने कहा कि पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता रविंद्र रवि ने पत्र लिखकर दवा घोटाले की बात कही है। मगर जांच करने के बजाय शिकायत करने वालों के खिलाफ ही कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने कहा कि धर्मपुर में सैनेटाइजर की बोतलों पर मंत्री, उनकी बेटी और मुख्यमंत्री के फोटो चिपका कर बांटे गए। जबकि यह सैनेटाइजर कहा बना किसने बनाया और इसकी गुणवत्ता क्या है, इस बारे कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया। जबकि जिला परिषद सदस्य व कांग्रेस पार्टी ने इस बारे मामला उठाया भी है। इस अवसर पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री प्रकाश चौधरी और पूर्व सीपीएस एवं प्रदेश कांग्रेस सदस्य सोहन लाल ठाकुर भी मौजूद रहे।