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मक्का-मस्जिद ब्लास्ट में असीमानंद समेत सभी आरोपी बरी, सबूत पेश नहीं कर पाई NIA

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।  2007 में हुए बम धमाके के केस में NIA ने कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं रखा, लिहाजा सबूतों के अभाव में उन्हें अदालत ने बरी कर दिया। मक्का मस्जिद धमाके में 9 लोग मारे गए थे और 58 घायल हुए थे।

मामले में 10 आरोपियों में से आठ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी जिसमें नबाकुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद का नाम भी शामिल है। जिन 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई थी उसमें से स्वामी असीमानंद और भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भरत भाई जमानत पर बाहर हैं और तीन लोग जेल में बंद हैं। एक आरोपी सुनील जोशी की जांच के दौरान हत्या कर दी गई थी।

दो और आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कलसंग्रा के बारे में मीडिया रिपोर्टस में दावा किया गया है कि उनकी भी हत्या कर दी गई है। ब्लास्ट मामले में सीबीआई ने सबसे पहले 2010 में असीमानंद को गिरफ्तार किया था लेकिन 2017 में उन्हें सशर्त जमानत मिल गई थी। उन्हें 2014 के समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में भी जमानत मिल गई थी।

सुनवाई के दौरान 64 गवाह मुकरे, असीमानंद के बयान भी बदले

अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान असीमानंद ने कई बार अपने बयान बदले। पहले उन्होंने आरोपों को स्वीकार किया और बाद में इनकार किया। वहीं, मामले में कुल 226 चश्मदीदों के बयान दर्ज हुए और कोर्ट के समक्ष 411 दस्तावेज पेश गिए गए। लेकिन, इस दौरान 64 गवाह कोर्ट में अपने बयान से मुकर गए। जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित और झारखंड के मंत्री रणधीर कुमार सिंह भी शामिल थे।

इससे पहले 2011 में स्वामी असीमानंद ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था कि अजमेर दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट में उनका और कई अन्य हिंदू चरमपंथी संगठनों का हाथ है। हालांकि, बाद में इस बयान से पलटते हुए उन्होंने NIA पर दबाव बनाने के आरोप लगाए।