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मॉनसून सत्र: सदन में नियम 130 के तहत बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं से उतपन्न स्थिति पर हुई चर्चा

पी. चंद. शिमला |

मॉनसून सत्र के तीसरे दिन दोपहर बाद नियम 130 के तहत बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं से उतपन्न स्थिति पर सदस्यों ने चर्चा की। शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान ने इस चर्चा को लगाया। चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस विधायक हर्ष वर्धन ने कहा कि प्रदेश में लगातार सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है। उन्होने कहा कि निजी बस ऑपरेटरों को लाभ दिलाने के लिए लगातार एचआरटीसी बसों की टाइमिंग में बदलाब कर रही है। जिसके कारण लोग सरकारी बसों में ना जाकर प्राइवेट बसों में ज रहे हैं । इससे प्राइवेट बसों में ओवरलोढिंग हो रही है। पांवटा और आसपास के क्षेत्रों में बसों की कमी पर बोलते हुए कहा कि जिला में बस डिपुओं की कमी के कारण बसों की भारी कमी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ क्षेत्रों में आवश्यकत से अधिक बस डिप्पू हैं पांवटा या आसपास के क्षेत्र में नया बस डिपो खोलने की भी मांग रखी।

प्रदेश में 2009 से 2018 तक 31 हजार के करीब सड़क दुर्घटनाओं में 11561 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी, इसके अलावा 55000 के करीब लोग इन सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए। यह बात देहरा से विधायक होशियार सिंह ने विधानसभा सत्र के दौरान कही। नियम 130 के तहत चर्चा के दौरान प्रदेश में बढ़ती सड़क दुर्घनाओं पर सदन में गहरी चिंता व्यक्त की गई। अधिकतर विधायकों ने ओवर लोडिंग और नशे की हालत में ड्राइविंग को दुर्घटनाओं को जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा सड़क दुर्घटनाओं में ब्लैक स्पॉट और सड़क निर्माण में गुणवत्ता की कमी पर भी चिंता व्यक्त की गई।

ट्रैफिक नियमों को सख्ती से करें लागू

सुंदरनगर से विधायक राकेश जम्वाल ने सड़क निर्माण में गुणवत्ता का सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण करती बार और सड़क पक्का करती बार गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जाता है। अगर डीपीआर बनाती बार इसी बात को सुनिश्चित किया तो सड़क निर्माण के समय सही  गुणवत्ता को लागू किया जा सकता है। राकेश जम्वाल ने ट्रैफिक नियमों को भी सख्ती से लागू करने की बात कही। उन्होने कहा कि सुंदरनगर और आसपास के क्षेत्रों में अधिकतर दुर्घटनाएं दो पहिया वाहनों की होती हैं। ऐसे में अगर ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू किया जाए तो दो पहिया वाहनों की दुर्घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है। इसके अलावा राकेश जम्वाल ने ड्राइविंग टैस्ट को भी सख्ती से लागू करने की मांग रखी है। उन्होने कहा कि एचआरटीसी में रिक्तियों को जल्द भरा जाना चाहिए ताकि ड्राइवरों और कंडक्टरों पर से काम के बोझ को कम किया जा सके।

आवारा पशुओं से बढ़ रहे सड़क हादसे

विधायक राकेश पठानिया ने ठेकेदारों द्वारा निर्माण कार्यों में किए जा रहे समझौते पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ऐसे अनके स्थान हैं जहां पर हर साल डंगे लगते हैं और वही ठेकेदार हर साल डंगे लगाता है। राकेश पठानिया ने कहा कि निचले क्षेत्रों में अधिकतर दुर्घटनाएं आरावा पशुओं के कारण होती है। आवारा पशु अधिकतर अचानक सड़क में आ जाते हैं जिसके हैं जिसके कारण दुर्घटनाएं होती हैं। और अधिकतर दुर्घटनाओं में युवाओं की मौत होती है। पठानिया ने प्रदेश सरकार से आवार पशुओं के समाधान की मांग रखी।

चर्चा में भाग लेते हुए किन्नौर से विधायक जगत नेगी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में पुलिस प्रशासन का अहम रोल है। अगर पुलिस सख्ती से ट्रैफिक नियमों की लोगू करती है तो दुर्घटनाओं पर लगाम लगना निश्चित है। उन्होने शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने की मांग रखी है। इसके अलावा प्रकाश राणा व विक्रमादित्य सिंह ने भी चर्चा में भाग लिया।

सड़क हादसों की होगी मजिस्ट्रेट जांच

लंबी चर्चा के बाद परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने जवाब में कहा कि हिमाचल प्रदेश में  2 लाख 67 हज़ार पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन हैं। जबकि 13 लाख 86 हज़ार 500  नॉन पब्लिक वाहन हैं। जिनका कुल जोड़ 16 लाख  54 हज़ार 326 बनता है जो लगातार बढ़ रहे है। वर्ष 2017 में 1888 सड़क हादसे हुए जिनमें मृत्यु 779 लोगों की मौत हुई।
 वर्ष 2019 में जनवरी से लेकर अब तक 1753 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है। जिनमें 658 लोगों की मृत्यु हुई है। सड़क सुरक्षा में बेसहारा पशु भी जिम्मेदार हैं। जिसको लेकर ग्रामीण स्तर के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी। अब हादसों की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के साथ विशेषज्ञ की सहायता भी ली जाएगी। ब्लैक स्पॉट, क्रेस बैरियर व पेराफीट पर काम किया जाएगा। यदि इसमें कोई कमी पाई गई तो संबंधित लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। इसके अलावा जो भी ज़रूरी कदम होंगे उठाए जाएंगे।