विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने शिमला में आज अपने 9 विपक्षी विधायकों के साथ पत्रकार वार्ता की। मुकेश अग्निहोत्री के साथ कांग्रेस विधायक, धनी राम शांडिल, जगत नेगी, नंद लाल, विनय कुमार, पवन काज़ल, राजेन्द्र राणा, इंद्रदत्त लखनपाल, विक्रमादित्य सिंह और आशीष बुटेल मौजूद रहे। अग्निहोत्री ने कहा कि बीती शाम विपक्ष की बैठक आयोजित की गई थी जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।
अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार निवेशकों को बुलाने पर लगी हुई है सरकार " हिमाचल ऑन सेल " की राह पर चल पड़ी है। कांग्रेस औद्योगिक निवेश का स्वागत करते है लेकिन, जिस तरह से देश विदेश में हिमाचल की बोली लगाई जा रही है और विज्ञापनों के माध्यम से बड़े पूंजीपतियों और माफियाओं को आमंत्रित किया जा रहा है। प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते उनका कर्तव्य है कि कांग्रेस हिमाचल बचाओ अभियान चलाएगी। ये अभियान 4 अगस्त यानि हिमाचल निर्माता डॉ. वाई एस परमार की जयंती से शुरू किया जाएगा। इसी को लेकर विधायक मिलन के कार्यक्रम भी किए जाएंगे।
अग्निहोत्री ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर सवाल उठाया और कहा कि छोटी छोटी गलियों को भी एनएच घोषित कर दिया। स्मार्ट सिटी पर भी सरकार ने घुटने टेक दिए है। 90: 10 की रेसो से 50:50 की रेशो में हिमाचल सरकार मान गई है। कर्ज़ की बैसखियों के सहारे चल रही है। केन्द्र में हिमाचल के बड़े चेहरे होने के बाबजूद सरकार को कर्ज़ लेना पड़ रहा है। 9500 करोड़ के फण्ड का जो दावा सरकार कर रही थी उसका क्या हुआ। कुल मिलाकर वितीय प्रबंधन पर सरकार पूरी तरह विफ़ल हो चुकी है।
मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि सरकार के कुछ बाहरी अफ़सर इसको बढ़ावा देने में लगे हैं। हिमाचल की नीलामी करना सही नहीं है…. जिन चीजों के ग्लोबल टेंडर होते हैं उनको भी एमओयू करके दिया जा रहा है। इससे सरकार 60 हज़ार युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही है। जो कि एक छलावा है। क्योंकि जहां निवेशक आ रहे उनपर सरकार की स्थित स्पष्ठ नही है।
हवाई पट्टियों को मंजूरी नहीं मिल पाई है। मंडी की हवाई पट्टी तक मंजूर नही हुई है। हिमाचल से उद्योग पलायन कर रहे हैं। कैडबरी ने 703 लोगों को स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी है। हिमाचल के हर क्षेत्र में माफ़िया हावी है। प्रदेश भर में अवैध शराब का धंधा चल रहा है…. वन माफ़िया सक्रिय है, खनन माफ़िया हावी है। कोई पूछने वाला नहीं है…. जबाबदेही देने को सरकार तैयार नहीं है। लगातार सड़क हादसे हो रहे सरकार कोई नीति नहीं बना पाई। कोर्ट को हर मामले में दख़ल करना पड़ रहा है सरकार कमज़ोर होती है तो कोर्ट को दखल करना पड़ता है। कानून व्यवस्था की हालात ख़राब है।