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नशा तस्करों की अब खैर नहीं, प्रदेश में छेड़ा जाएगा व्यापक अभियानः मुख्यमंत्री

पी. चंद, शिमला |

हिमाचल प्रदेश में नशीले पदार्थां के प्रयोग के विरूद्ध मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा सरकार इन सब पर सख्ती से निपटने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया जाएगा।  नशीले पदार्थों की समस्या के सम्बन्ध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि नशीले पदार्थों का प्रयोग एक वैश्विक समस्या के रूप में उभरा है और हमारा देश व राज्य भी इससे अछूते नही हैं।

उन्होंने कहा कि नशे की तस्करी और नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और नशा तस्करों की संपत्ति को जब्त करने के लिए भी कड़े कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों और स्वास्थ्य सुरक्षा नियामक अधिकारियों को प्रदेश में एच-1 दवाओं के निर्माण की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। उन्होंने औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए कि राज्य में जिन दवाओं को प्रतिबंधित किया गया है, उनकी आपूर्ति और बिक्री को लेकर नियमित तौर पर निरीक्षण करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में नशीले पदार्थों के प्रयोग के विरुद्ध सख्ती से निपटने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।  मुख्य सचिव के साथ विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित रहे।

अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह बी.के. अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर भांग की खेती को उखाड़ने के लिए व्यापक अभियान छेड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि उपजिला न्यायवादी और अतिरिक्त जिला न्यायवादी को दवा निरीक्षकों की तरफ से मादक द्रव्यों से जुड़े मामले सामने लाने चाहिए क्योंकि दवा निरीक्षक अपने मामलों के अभियोजन में व्यस्त रहते हैं।

सी.एम. ने कहा कि नशा तस्करों और नशे के आदी लोगों के बीच गठजोड़ को समाप्त करना जरूरी है। अभिभावकों को भी अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। नशे के आदी लोगों के स्वास्थ्य सुधार पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए चिकित्सकों, परामर्शदाताओं और पैरामैडीकल स्टाफ  को उचित प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे नशा सुधार और पुनर्वास केंद्रों में व्यावसायिक सेवाएं प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की जाएगी।

इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए संयुक्त और ईमानदार प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में उनकी पहल पर चण्डीगढ़ में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें इस सामाजिक समस्या पर अकुंश के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार करने के लिए चार पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा तीन अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।