मंडी लोकसभा उपचुनाव के नतीजे इस बार भाजपा के लिए काफी चौंकाने वाले रहे। एक ओर जीत के लिए आश्वस्त बैठी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा तो दूसरी ओर उपचुनाव में दोनों ही पार्टियों को वोट ने देने वालों की बड़ी संख्या भी सामने आई। साफ़ शब्दों में कहें तो मंडी संसदीय क्षेत्र में नोटा ने तीसरे प्रत्याशी की भूमिका निभाई है, जबकि यहां से कुल 6 प्रत्याशी चुनावी रण में थे। नोटा को भी ऐड ऑन कर लिया जाए तो कुल 7 हो जाते हैं।
मंडी संसदीय क्षेत्र के 17 विधानसभा क्षेत्रों में हुए मतदान में 742771 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जिसमें कांग्रेस को 49.23 प्रतिशत और भाजपा के पक्ष में 48.05 प्रतिशत मतदान रहा। शेष सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।
ऐसा पहली बार हुआ कि उपचुनाव में जीत हार का अंतर भी इतना कम रहा है। इस बार उप चुनाव में 57 फीसदी से अधिक मतदान होने से सत्तापक्ष का चुनावी गणित गड़बड़ा गया। कुल 742771 मतों में से भाजपा के ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को 356884 मत पड़े। वहीं पर कांग्रेस की प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को 365650 मत मिले। वहीं पर राष्ट्रीय जन क्रांति दल की अंबिका श्याम को 3570, हिमाचल जन क्रांति दल के मुंशी राम को 1211, आजाद प्रत्याशी अनिल कुमार को 1079, सुभाष मोहन स्नेही को 1743 मत मिले। जबकि 12626 लोगों ने नोटा का बटन दबाया जिसने भाजपा के सियासी समीकरण पुरी तरह से बदल कर दिए।
जहां तक मंडी जिला की बात है यहां पर नौ में से आठ में भाजपा ने बढ़त हासिल की है। वहीं पर मुख्यमंत्री अपने गृह जिले में भाजपा के प्रत्याशी को 21659 भी भारी भरकम बढ़त दिलवाने के बावजूद भी मंडी की सियासी जंग हार गए हैं। उनके द्वारा मंडी हमारी थी, हमारी है और रहेगी के नारे को मंडी वासियों ने सिरे नकार दिया है। वहीं पर सराज की बढ़त को लेकर यह भी सवाल उठने लगे हैं कि अकेले सराज में ही विकास होने के जो आरोप कांग्रेस द्वारा लगाए गए हैं। वे सही साबित हुए हैं। इसके अलावा पूर्व सांसद रामस्वरूप के गृह क्षेत्र जोगिंद्रनगर में भाजपा को कुछ सम्मानजन 7100 मतों की बढ़त हासिल हुई है।
इसके अलावा सदर विधानसभा क्षेत्र भी बढ़त के मामले में तीसरे नंबर पर रहा है। सदर से भाजपा को 3246 मतों की बढ़त हासिल हुई है। वहीं पर भाजपा प्रत्याशी के गृहक्षेत्र से भी भाजपा को 2631 मतों की बढ़त मिली है, इसके अलावा भाजपा को सुंदरनगर से 1921, करसोग से 1300, सरकाघाट से 1654, बल्ह से 1100 भाजपा को बढ़त मिली है। मंडी जिला से कांग्रेस को एकमात्र नाचन से 2571 मतों की बढ़त मिली है। इसके बावजूद भी मंडी से भाजपा को उतनी बढ़त नहीं मिल सकी जो रामपुर, किनौर, आनी, मनाली, कुल्लू और भरमौर की बढ़त को काट नहीं सकी। जिसके चलते भाजपा 2019 का इतिहास दोहराने में नाकाम रही।
कांग्रेस को रामपुर से सबसे अधिक 19955 मतों की लीड मिली है। इसके अलावा किनौर में 4977, आनी 7043, भरमौर 4090, मनाली 1841, कुल्लू 3897, लाहुल-स्पीति 2142 और बंजार में 1878 मतों की बढ़त मिली है। कांग्रेस की इस जीत से मंडी संसदीय क्षेत्र में नए सियासी समीकरण उभरें हैं। यहां पर जहां प्रतिभा सिंह की जीत के बहाने कांग्रेस ने अपना खोया हुआ जनाधार तलाश लिया है। वहीं पर भाजपा के सामने भी यक्ष प्रश्र खड़ा कर दिया है कि मंडी का मुख्यमंत्री मंडी वासियों का दिल जीतने में आखिर कामयाब क्यों नहीं हो पाया। इस बारे अभी से मंथन करने की आवश्यक्ता है अन्यथा 2022 के चुनाव में बदलाव की बयार भाजपा के लिए आधी का रूप धारण न कर ले। बहरहाल उप चुनाव के नतीजे मुख्यमंत्री और भाजपा के लिए वेकअप कॉल साबित होंगे ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए।