<p>हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को अचानक ही शिमला से दिल्ली बुला लिया गया और इसके बाद उन्होंने दिल्ली में ना सिर्फ अपने पुराने राजनीतिक दोस्तों के साथ मुलाकात की बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी मुलाकात की। धूमल को अचानक दिल्ली बुलाए जाने को लेकर एक बड़े राजनीतिक बदलाव का अंदेशा भी माना जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में इन दिनों भाजपा के भीतर खूब बवाल मचा हुआ है जिसमें एक तरफ पार्टी के कुछ नेता राजनीतिक दबदबा बनाने का प्रयास कर रहे हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के वह लोग हैं जो लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं लेकिन इस सरकार में खुद को कटा हुआ महसूस भी कर रहे हैं। इसका स्पष्ट उदाहरण इंदु गोस्वामी का अपने पद से इस्तीफा देना रहा जिसको लेकर खुद गृहमंत्री अमित शाह तक ने संज्ञान लेने का संदेश दे दिया है।</p>
<p>वहीं, ज्वालामुखी 1998 के बाद एक बार फिर भड़का हुआ है और 1998 में जहां वीरभद्र सिंह ने रमेश धवाला को लेकर एक बड़ी राजनीति करने का प्रयास किया था लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के हस्तक्षेप के बाद रमेश बाला ने उस समय भी भाजपा का ही साथ दिया था और पहली बार 5 साल के लिए भाजपा की सरकार हिमाचल प्रदेश में बनाई थी। एक बार फिर से हिमाचल प्रदेश में अगर राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो 1977 जैसे हालात बनते नज़र आ रहे हैं। जहां पर हर विधायक मंत्री बनने के लिए आतुर बैठा है और एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में जुटा हुआ है।</p>
<p>सन् 1977 में जब शांता कुमार की सरकार थी, तब भी हिमाचल प्रदेश में कुछ ऐसे ही हालात बने हुए थे और बिना प्रोटोकॉल के ही सब कुछ हो रहा था। अब एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को दिल्ली बुलाना और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना इसके साथ ही राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ राजनीतिक चर्चा करना इस बात का स्पष्ट संदेश दे रहा है कि हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से कहीं ना कहीं जो पार्टी के भीतर उठापटक का माहौल बना हुआ है और एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ बिना प्रोटोकॉल के नेताओं में बनी हुई है। इन सारी चीजों को नियंत्रित करने के लिए प्रेम कुमार धूमल आगे आ सकते हैं।</p>
<p>माना जा रहा है कि इसी चर्चा के लिए उन्हें तत्काल दिल्ली बुलाया भी गया था। बात यहीं तक नहीं है, इसके अलावा भी सरकार के कुछ मंत्री नराज़ चल रहे हैं, तो कुछ मंत्रियों के खिलाफ अंदर खुली बगावत चल रही है। इस सुलगती हुई चिंगारी को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भी कहीं ना कहीं प्रेम कुमार धूमल की हो सकती है। वहीं, सूत्र यह भी बता रहे हैं कि जल्द ही राज्यसभा में भी हिमाचल प्रदेश से एक नियुक्ति होना तय है और उस नियुक्ति के लिए उपयुक्त चेहरा कौन होगा इसके लिए भी धूमल की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।</p>
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