हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल हमीरपुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भावुक हो गए। प्रेम कुमार धूमल अब हमीरपुर से नहीं बल्कि सुजानपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। मंगलवार को हमीरपुर में धूमल बतौर विधायक आखिरी बार विधानसभा के लोगों को संबोधित कर रहे थे। लेकिन, इस दौरान बेहद भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू झलक उठे।
धूमल की यह सभा कॉलेज के किसी फेयरवेल की तरह हो गई थी। जहां पर सभी लोग भावुक होकर अपना संबोधन पेश कर रहे थे। जैसे ही धूमल की आंखें सजल हुईं… पूरे कार्यक्रम में सन्नाटा पसर गया। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष ने खुद को संभाला और अपनी रूमाल से आंसू पोछने के बाद लोगों को दिवाली की बधाई दी।
इस दौरान उन्होंने उस कड़वे सवाल का भी जवाब दिया जिसमें पूछा गया कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस सवाल पर उनकी आंखों में उनकी भावनाएं तैर गई। उन्होंने कहा, "ये फैसला हमारा नहीं बल्कि हाई कमान का होता है, जो भी निर्णय होगा वो सबको मान्य होगा।"
हालांकि, जो आंसू प्रेम कुमार धूमल की आंखों में छलके उनमें सिर्फ राजनीतिक महत्वाकांक्षा की बाते करना बेमानी होगी। इन आंसुओं में कई ख़्वाब और संगतों के एहसास की भी मिलावट रही होगी।
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल भी कहीं ना कहीं निर्मम सियासत के सिपाही रहे हैं, जहां पर व्यावहारिक संबंधों को ज्यादा तरजी दी जाती है। हाईकमान से धूमल को हमीरपुर छोड़ अब सुजानपुर से चुनाव लड़ने के निर्देश दिए गए हैं। लगभग दो दशकों तक प्रदेश में पार्टी का नेतृत्व करने वाले धूमल अब कहीं ना कहीं खुद को किनारे पर महसूस कर रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि बीजेपी में सिर्फ प्रेम कुमार धूमल ही ऐसे कड़वे अनुभवों से गुजर रहे हैं। इससे पहले राजनीति के कई सेनापतियों ने इस दौर को जिया है या कह सकते हैं झेला है। राजनीति में भावनाओं से ज्यादा अवसर को तरजीह दी जाती रही है…लेकिन, कभी-कभी भावनाएं अवसर पर भी हावी हो जाती हैं। ऐसे में इसके राजनीतिक साइड-इफेक्ट का विश्लेषण अब राजनीतिक पंडितों ने शुरू कर दी है।