मंडी में कांग्रेस की रैली और उसी जगह से संबंध रखने वाले पार्टी के दिग्गज नेता पंडित सुखराम ना पहुंचे तो कयास लगने लाजमी है। जी हां, मंडी में राहुल गांधी की रैली से वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम को दूर रखा गया। समाचार फर्स्ट को मिली जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ नेता को रैली के लिए निमंत्रण ही नहीं भेजा गया। पंडित सुखराम का नाम मंच पर विराजमान होने वाले लोगों में जान-बूझकर शामिल नहीं किया गया। जबकि, सुखराम स्पेशली रैली में शिरकत करने के लिए दिल्ली से मंडी पहुंच चुके थे।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के ही दूसरे वरिष्ठ नेता ने पार्टी के हिमाचल प्रभारी सुशील कुमार शिंदे को दो टुक कह दिया था कि अगर पंडित सुखराम को रैली में बुलाया जाएगा तो वे रैली का बायकॉट कर देंगे।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी सीनियर नेता की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की रैली में 'नो एंट्री' लगी हो। इससे पहले धर्मशाला में भी हिमाचल कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री जीएस बाली के साथ ऐसा हो चुका है। उस दौरान भी जीएस बाली का ऐन वक़्त पर मंच पर आसीन होने वाले नेताओं की लिस्ट से नाम काट दिया गया था। उसके बाद की घटनाओं पर सभी को ध्यान भी होगा कि कैसे काला-कौआ और काली भेड़ें न्यूज़-पेपर की हेडलाइंस बनने लगी थीं। रैली स्थल से नाम काटे जाने का ही नतीजा था कि जीएस बाली ने अपने विधानसभा क्षेत्र में अलग से रैली का आयोजन करा दिया था।
एक बार फिर कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम को रैली में नहीं आने देना यह पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि, कांगड़ा के बाद मंडी सबसे बड़ा जिला है और दोनों ही जिलों के दिग्गज नेताओं को पार्टी की तरफ से निराशा ही हाथ लगी है।
हालांकि, अब जब खुद कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सीएम वीरभद्र सिंह को सातवीं बार प्रदेश की कमान सौंपने की घोषणा कर दी है, ऐसे में आगामी राजनीति के और भी दिलचस्प पहलू सामने आ सकते हैं।