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मुश्किल दौर में पार्टी अध्यक्ष बनेंगे राहुल गांधी

समाचार फर्स्ट |

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कांग्रेस में 7 साल बाद चुनाव हो रहा है।  4 दिसंबर को  अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन पेपर भरने की आखिरी तारीख थी। राहुल गांधी के अलावा अध्यक्ष पद की दावेदारी के लिए कोई भी आगे नहीं आया। जिसके चलते गांधी को निर्विरोध सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष चुना जाएगा। राहुल अध्यक्ष पद संभालने वाले नेहरू-गांधी परिवार के छठे और कांग्रेस के 60वें सदस्य होंगे।   

19 साल तक अध्यक्ष पद पर रही अपनी मां सोनिया गांधी की जगह लेंगे। कांग्रेस पार्टी इस समय  मुश्किल दौर से गुजर रही है। देश में सिर्फ 10 फिसदी हिस्से में कांग्रेस का शासन है वहीं नेहरु के वक्त 90% हिस्से पर कांग्रेस का राज था।

इतने फिसदी था कांग्रेस का शासन     

  • 1951 यानी जवाहरलाल नेहरू के वक्त देश के 90% हिस्से पर कांग्रेस का शासन था। तब कांग्रेस के पास लोकसभा की 489 में से 364 (74%) सीटें थीं।
  • 1969 में इंदिरा गांधी के वक्त भी देश के 90% हिस्से पर कांग्रेस का शासन था। तब कांग्रेस के पास लोकसभा की 494 में से 371 (75%) सीटें थीं।
  • 1985 में राजीव गांधी के पीएम बनने के बाद कांग्रेस का देश के 67% हिस्से पर शासन था। उस वक्त कांग्रेस के पास लोकसभा की 542 में से 415 (77%) सीटें थीं।
  • 1998 में सोनिया गांधी के पार्टी प्रेसिडेंट पोस्ट संभालने के वक्त कांग्रेस का देश के 19% इलाके पर शासन था। कांग्रेस के पास लोकसभा की 543 में से 141 (28%) सीटें थीं।

अब जब राहुल कांग्रेस के प्रेसिडेंट बनने जा रहे हैं, तब कांग्रेस के पास लोकसभा में 543 में से सिर्फ 46 (8%) सीटें हैं। राहुल गांधी परिवार में सबसे ज्यादा वक्त तक सांसद रहने के बाद पार्टी अध्यक्ष बनेंगे। राहुल से पहले 1986 में अर्जुन सिंह, 1997 में जितेंद्र प्रसाद उपाध्यक्ष रहे थे, पर अध्यक्ष नहीं बने। 1998 में सोनिया गांधी के खिलाफ यूपी से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितेंद्र प्रसाद ने नामांकन भरा था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे।