देश की दूसरे सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र के सांसद रहे रामस्वरूप शर्मा के निधन से संसदीय क्षेत्र में दुख के साथ एक सूनापन सा तारी हो गया है। मंडी संसदीय क्षेत्र से ऐसे दिगज नेताओं ने प्रतिनिधित्व किया जिनकी तुती प्रदेश व देश की राजनीति में बोलती रही है। मगर साधारण से दिखने वाले रामस्वरूप शर्मा ने इस मिथक को तोड़ दिया था कि सांसद कभी भी दुर्लभ प्राणी नहीं होता है। वह भी आम आदमी के बीच जाकर उसके दुख-सुख में शामिल हो सकता है। चाय की दुकान में बैठकर सबके साथ चाय पी सकता है, उनके साथ गप्पें मार सकता है।
2014 में कांग्रेस की प्रत्याशी रानी प्रतिभा सिंह को करीब 39 हजार मतों से पराजित करने के बाद रामस्वरूप शर्मा सर्किट हाउस में डेरा डालने के बजाय मंडी शहर के बीचोंबीच स्थित संकन गार्डन में दोस्तों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चाय पीने बैठ गए। इसके बाद भी जब उन्हें मौका मिलता वे छुन्ना टी स्टाल में पहुंचकर चाय की चुस्कियों के साथ बेसन का मजा लेते। मंडी के पत्रकारों के साथ भी दोस्ताना माहौल था, जब भी मिलते या पे्रस वार्ता होती तो जलेबी खिलाना नहीं भूलते। एक बार तो दीपावली के तोहफे के रूप में जलेबी के डिब्बे भेंट किए, यह अलग बात थी कि उसमें मिट्ठास की जगह खटास थी, पर रामस्वरूप ने तो मन से भेंट की थी।
रामस्वरूप शर्मा पहले ऐसे सांसद थे जो ठहरते भले ही मगर दोस्तों और पार्टी कार्यकर्ताओं के घर जाकर उनके बीच बैठकर भोजन करना पसंद करते थे। सांसद बनने के बाद भी वे पुराने दिन और पुराने दोस्तों को कभी नहीं भूले थे। वे कहते भले ही मैं सांसद बन गया हूं पर आपके लिए वहीं रामस्वरूप हूं। मंडी संसदीय क्षेत्र से राजे रजवाड़े सांसद रहे। जिनमें कपूरथला घराने की राजकुमारी अमृतकौर पहली सांसद थी , मगर वह चुनाव जीतने के बाद वापस कभी नहीं लौटी, उसी प्रकार राजा जोगिंद्रसेन, सुकेत के राजा ललित सेन, बुशैहर के राजा वीरभद्र सिंह,कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह, रानी प्रतिभा सिंह आदि राजपरिवार से जुड़े लोगों ने मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। पं. सुखराम के बाद रामस्वरूप शर्मा ऐसे सांसद थे जिनका संबंध साधारण परिवार से था। यही वजह थी कि वे अपने आपको आमजनमानस से जोडक़र रखते थे। वे सही मायने में जनता के प्रतिनिधि थे।