लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों में भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के खिलाफ मजबूत बढ़त पर चली हुई है। मध्यप्रदेश के लोकसभा चुनाव के दौरान अपने बयानों के कारण विवादों में रहने वाली प्रज्ञा इस समय एक लाख से अधिक वोटों से आगे हैं। अपने 63 घंटे (21पहर) के मौन व्रत तोड़ने के तुरंत बाद उन्होंने कहा कि अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी दिग्विजय सिंह पर लीड से वह खुश हैं। वोटरों ने जो जवाब दिया है, उससे बेहद खुश हूं।
भोपाल लोकसभा सीट पर प्रज्ञा कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह से 1,02,144 मतों से आगे चल रहीं हैं। इस दौरान उसके समर्थक ‘जय श्रीराम' के नारे लगा रहे थे। 20 मई की सुबह 21 पहर का मौन व्रत धारण करने के बाद प्रज्ञा ने ट्वीट किया था कि मतदान की प्रक्रियाओं के उपरान्त अब समय है चिंतन मनन का। इस दौरान मेरे शब्दों से समस्त देशभक्तों को यदि ठेस पहुंची है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं और सार्वजनिक जीवन की मर्यादा के अंतर्गत प्रायश्चित हेतु 21 प्रहर का मौन और कठोर तपस्यारत हो रही हूं। हरिः ॐ।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मालेगांव बम धमाके की आरोपी रही साध्वी प्रज्ञा ने अपने बयानों से राजनीतिक माहौल में गर्मी की लहर दौड़ गई थी। उनका एक बयान था कि उन्होंने मुम्बई एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे को श्राप दिया था और इसके एक माह बाद आतंकियों की गोलियों से उनकी मौत हो गई। साध्वी प्रज्ञा ने यह भी बयान दिया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने में शामिल होने पर उन्हें गर्व है।
इस दौरान साध्वी प्रज्ञा के इन बयानों की सभी ने आलोचना की थी। यहां तक कि उनके दल भाजपा ने भी स्वयं को उनके बयानों से अलग कर लिया। चुनाव आयोग ने साध्वी के शहीद करकरे पर दिये गये बयान पर कार्रवाई करते हुए उन पर चुनाव प्रचार से 72 घंटे के लिए प्रतिबंध भी लगाया था। हाल ही में साध्वी प्रज्ञा दोबारा सुर्खियों में तब आई जब उन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। उनके इस बयान की भी सभी ने निंदा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि साध्वी ने हालांकि इस पर माफी मांग ली है लेकिन वह उन्हें दिल से माफ नहीं कर पाएंगे।