SFI ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन, सीयू औऱ HPU में शिक्षकों की भर्ती पर उठाए सवाल

<p>SFI हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को विभिन्न&nbsp; छात्र मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। इसमे कुलपति की अयोग्यता औऱ विश्वविद्यालय&nbsp; में अध्यापकों की भर्तियों में नियमों का पालन न करने पर प्रश्न उठाये । छात्र संघ ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में हो रही शिक्षकों की भर्तियों में केंद्र और प्रदेश सरकार अपने&nbsp; चहेतों को भर्ती कर रही है ।</p>

<p>UGC के नियम और निर्देशों को दरकिनार करके आयोग्य लोगों को भर्ती किया जा रहा है। ये सब शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के भविष्य के साथ एक बहुत बड़ा खिलवाड़ किया जा&nbsp; रहा है। SFI राज्य कमेटी ने विश्वविद्यालय कुलपति की योग्यता पर सवाल उठाते हुए बताया कि राइट टू इनफार्मेशन एक्ट के तहत जो जानकारी हासिल हुई है, उसके मुताबिक कुलपति के पद पर नियुक्ति हेतु यूजीसी के नियमों और विश्वविद्यालय अध्यादेश अनुसार 10 साल का अनुभव बतौर प्रोफेसर किसी भी प्राध्यापक के पास होना चाहिए, लेकिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति ने फर्जी अनुभव के दस्तावेजों का सहारा लेकर विश्वविद्यालय में नियुक्ति हासिल की है।</p>

<p>इसलिए SFI राज्य कमेटी मांग करती है कि अयोग्य कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार पर भर्ती प्रक्रिया के दौरान गलत जानकारी साझा करने के आरोप में IPC की धारा 420 के तहत मुकद्दमा दर्ज होना चाहिए और शीघ्र ही उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए ।</p>

<p>इसके साथ-साथ एसएफआई&nbsp; ने राज्यपाल औऱ माननीय उच्च न्यायालय से इस मसले पर प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंदर लगातार बेरोजगार नौजवानों के साथ धोखा हो रहा है औऱ योग्यता को दरकिनार करते हुए एक विशेष विचारधारा के लोगों की भर्तियां शिक्षक तथा गैर शिक्षक वर्ग के अंदर की जा रही है। प्रदेश सरकार और वी सी के खिलाफ सूचना अधिकार के तहत सूचना एकत्र करने बाले याचिकर्ताओं की पूरी सूचना अपने ऑफिस इसलिए मंगवाई जा रही है ताकि याचिकाकर्ता को डराया या दवाब डालने की कोशिश की जाए। जो सूचना अधिकार के कानून का उल्लंघन है।</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(2949).png” style=”height:110px; width:900px” /></p>

<p>हम देखते है कि सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों भारी भरकम मात्रा में छात्रों से फीस&nbsp; वसूली जा रही है।&nbsp; कोरोना के दौरान लॉकडाउन&nbsp; के चलते&nbsp; सभी परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है। नेशनल पैमेंट कोरपोरेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक जून के महीने मे 8 करोड़ 78 लाख के EMI डेबिट होने थे। लेकिन उसमे से 3 करोड़ 20 लाख से ज्यादा बाउंस हुए । यहां से साफ दिखता है कि जनता की आर्थिक स्थिति इस वक़्त क्या है। सरकार जनता और युवाओं को इस स्थिति से बाहर निकालने की बजाए और महंगाई का बोझ डाल रही है। हमारी मांग है कि छात्रों से मात्र ट्यूशन फी ली जाए।</p>

<p>इसके अलावा 2014 से संघ के चुनावों पर प्रतिबंध लगाया गया है, छात्रों की समस्याओं&nbsp; को सुलझाने के लिए छात्र संघ के चुनावों को बहाल किया जाए।</p>

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